HOME

Featured post

25 नवम्बर का इतिहास

♓🅰♉🚩🅾♏ *भारतीय एवं विश्व इतिहास में 25 नवंबर की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ।* ☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆ 1667 - रूस के उत्तरी कॉकसस क्षेत्र के सेमाखा में ...

Monday, 5 June 2017

इसरो का सबसे ताकतवर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV मार्क 3 डी-1 अपनी पहली उड़ान के लिए तैयार है। इसका वजन 200 हाथियों के बराबर है। इसे श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सोमवार शाम 5.28 बजे छोड़ा जाएगा। ये अपने साथ एक हाथी के बराबर वजनी देश के सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-19 (वजन 3136 kg ) को लेकर जाएगा। इसके साथ ही भारत में हाई स्पीड इंटरनेट युग की शुरुआत होगी। स्पेस में इंसान को भेजने का भारत का सपना जल्द पूरा हो सकता है पूरा... - न्यूज एजेंसी के मुताबिक GSLV मार्क 3 की लॉन्चिंग के साथ ही स्पेस में इंसान को भेजने का भारत का सपना जल्द पूरा हो सकता है। फिलहाल रूस, अमेरिका और चीन के पास इंसान को स्पेस में भेजने की काबिलियत है। - GSLV मार्क 3 को इसरो ने डेवलप किया है। इसकी लॉन्चिंग को स्पेस टेक्नोलॉजी में बड़ा बदलाव लाने वाले मिशन के तौर पर देखा जा रहा है। इसकी उल्टी गिनती रविवार शाम 3.58 बजे शुरू हुई थी। - GSLV मार्क 3 के साथ अब भारत दूसरे देशों पर डिपेंड हुए बिना बड़े और भारी सैटेलाइट्स की देश में ही लॉन्चिंग कर सकेगा। यह चार टन तक के वजन वाले सैटेलाइट्स को ले जा सकता है। इसकी क्षमता मौजूदा जीएसएलवी मार्क 2 की दो टन की क्षमता से दोगुना है। GSAT-11 को भी भेजा जाएगा - इसरो के चेयरमैन किरण कुमार ने बताया कि GSAT-19 के बाद GSAT-11 को भी भेजा जाएगा। ये दो सैटेलाइट गेम चेंजर माने जा रहे हैं। कम्यूनिकेशन की फील्ड में ये क्रांतिकारी बदलाव होगा। इनकी लॉन्चिंग डिजिटल इंडिया की दिशा में बेहद अहम कदम होगा। ये हाई स्पीड इंटरनेट सर्विस मुहैया कराने के साथ ही कम्युनिकेशन को असरदार बनाने में अहम रोल निभाएंगे। - स्पेस एप्लिकेशन सेंटर, अहमदाबाद के डायरेक्टर तपन मिश्रा ने बताया कि अगर यह लॉन्चिंग सफल रही तो अकेला GSAT-19 सैटेलाइट स्पेस में पहले से मौजूद पुराने किस्म के 6-7 कम्युनिकेश सैटेलाइट के ग्रुप के बराबर होगा। आज स्पेस में मौजूद 41 भारतीय सैटेलाइट्स में से 13 कम्युनिकेशन सैटेलाइट हैं। - मिश्रा के मुताबिक इस साल के आखिर में GSAT-11 छोड़ा जाएगा। इन दोनों सैटेलाइट के काम शुरू करते ही हाई-क्वालिटी इंटरनेट, फोन और वीडियो सर्विस मिलनी शुरू हो जाएगी। स्पेस में पहले से मौजूद GSAT सैटेलाइट्स का प्रभावी डाटा रेट एक गीगाबाइट प्रति सेकंड है, जबकि GSAT-19 प्रति सेकंड 4 गीगाबाइट डाटा और GSAT-11 तेरह गीगाबाइट प्रति सेकंड की दर से डाटा ट्रांसफर करने के काबिल है। क्या है GSLV मार्क 3? - इसका वजन 630 टन है और ऊंचाई करीब 42 मीटर है। इसे फैट बॉय सैटेलाइट कहा जा रहा है। इसका वजन 5 पूरी तरह से भरे बोइंग जम्बो विमान या 200 हाथियों के बराबर है। इसको बनाने में 160 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। क्या है GSAT-19? - GSAT-19 में मॉडर्न प्लेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। यह हीट पाइप, फाइबर ऑप्टिक जायरो, माइक्रो-मैकेनिकल सिस्टम्स एक्सीलेरोमीटर, केयू-बैंड टीटीसी ट्रांसपोंडर और देश में बनी एक लीथियम आयन बैटरी से लैस है। GSAT-19 देश में तैयार सबसे वजनी सैटेलाइट है। इस पर करीब 300 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

सोमवार 05 जून 2017