प्रश्न-: बुद्धि से क्या तात्पर्य है? इसकी विशेषताओं का वर्णन करें।
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उत्तर-: बुद्धि का शाब्दिक अर्थ ज्ञान शक्ति तथा मेधा है। यह एक अनुमानित ज्ञान शक्ति है। क्योंकि इसका ज्ञान प्रत्यक्ष रूप से नहीं होता है बल्कि क्रियाओं या व्यवहारों के माध्यम से हो पाता है। जब कोई बालक अपने साथियों की अपेक्षा कम ही समय में याद कर लेता है तो वह अन्य बालकों से अधिक बुद्धिमान समझा जाता है। जो बालक अपने पाठ्य को देर से याद कर पाता है अथवा शिक्षक के प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाता है। वह निर्बल बुद्धि का समझा जाता है। इसी तरह जो व्यक्ति अपने समस्याओं का समाधान शीघ्र ही खोज लेता है तथा जटिल से जटिल वातावरण में भी स्वयं को समायोजित कर लेता है, उसे मेधावी या बुद्धिमान कहा जाता है। दैनिक जीवन के ऐसे परीक्षणों से ज्ञात होता है कि बुद्धि एक ऐसी मानसिक क्षमता है , जिसका अभिव्यक्ति जीवन के विभिन्न पहलुओं के संदर्भ में होती रहती है। इस क्षमता की परिभाषा देना वस्तुतः बड़ा कठिन है।
{काॅलविन तथा पिन्टनर के अनुसार -: बुद्धि वह क्षमता है जो उसे जीवन की नई परिस्थितियों में समुचित रूप से समायोजित होंने में सहायता करता है।}
कोहलर के सूझ सिद्धांत की विवेचना करें।
बुद्धि अथवा बौद्धिक व्यवहार की विशेषताएं(बुद्धिमान लोंगों की पहचान) -:
बुद्धि की विशेषताओं की व्याख्या करने के पूर्व इस बात की चर्चा कर देना आवश्यक जान पड़ता है कि बुद्धि एक अनुमानित चीज है। जिस तरह बिजली का अनुमान हम उसके परिणाम से लगाते है, उसी तरह बुद्धि का अनुमान व्यक्ति के कार्य या व्यवहार से लगाया जाता है। व्यवहार के आधार पर ही हम कहते हैं कि अमुक आदमी अधिक बुद्धिमान है तथा अमुक आदमी कम बुद्धिमान है। अतः बुद्धि की विशेषताओं का तात्पर्य बुद्धियुक्त व्यवहार से है। अतः बुद्धि या बुद्धियुक्त व्यवहार की निम्नलिखित विशेषताएं हैं ----
1. सावधानी-: बुद्धि की एक मुख्य विशेषता सावधानी है। जो व्यक्ति बुद्धिमान होता है,वह अपने वातावरण के प्रति सदैव सावधान रहता है, सदैव जागरूक रहता है।इसलिए वातावरण में किसी प्रकार के परिवर्तन होने पर वह अविलम्ब समायोजन स्थापित कर लेता है। लेकिन, मूर्ख अथवा कम बुद्धिमान व्यक्ति में सावधानी का अभाव रहता है। इसलिए वह अपने वातावरण से समायोजित नहीं हो पाता है या देर से होता है।
2. पर्याप्त धारण शक्ति-: बुद्धिमान व्यक्ति की एक ओर विशेषता यह भी है कि उसमें धारण शक्ति पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है। वह अपने पूर्वअनुभवों को अधिक दिन तक याद रखता है। लेकिन मुर्ख या निर्बल लोंगों यह विशेषता नहीं पायी जाती है। इस संबंध में जो प्रयोगात्मक अध्ययन हुए है उनसे पता चलता है कि बुद्धि तथा धारणा में धनात्मक सहसंबंध है।
3. विचारों का समीकरण-: बुद्धिमान व्यक्ति अपने विचारों का सहज ही समीकरण कर लेते है।वे न केवल अपने पूर्वानुभवों को याद रखते है बल्कि उनका समीकरण करके समस्याओं की आसानी से हल भी कर लेते है। लेकिन , मूर्खों या निर्बल बुद्धि के व्यक्तियों में इस क्षमता की कमी होती है।
4. शीघ्र समायोजन-: बुद्धिमान व्यक्तियों में अभियोजन या समायोजन की क्षमता अधिक होती है। अतः वे जटिल -से -जटिल वातावरण में भी स्वयं को बहुत जल्द समायोजित कर लेते है। लेकिन,मूर्खों में इस क्षमता की कमी होती है। काॅलविन तथा पिन्टनर ने अभियोजन पर जोर देते हुए यहां तक कह दिया की अभियोजन की क्षमता ही बुद्धि है। वास्तव में अभियोजन पर बुद्धि की अन्य विशेषताओं जैसे-: प्रबल धारण , समीकरण, इत्यादि का गहरा प्रभाव पड़ता है।
5. विचारों का परिचालन-: बुद्धिमान व्यक्ति का एक लक्षण यह है कि उसमें चिन्तन की क्षमता अधिक होती है। अमूर्त्त विषयों के संबंध में वह आसानी से चिंतन कर सकता है और सही रूप में उपस्थित कर सकता है। लेकिन, निर्बल बुद्धि के व्यक्तियों में इस क्षमता का अभाव देखा जात है। बुद्धि के इस लक्षण पर बल देते हुए परम तो यहाँ तक कह दिया की अमूर्त चिंतन की क्षमता ही बुद्धि है।
थाॅर्नडाइक के भूल तथा प्रयत्न संबंधित सिद्धांत की विवेचना करें।
6. आत्म मूल्यांकन -: बुद्धिमान व्यक्ति अपनी योग्यताओं की क्षमताओं का मूल्यांकन करने की क्षमता रखता है। वह अपनी सीमाओं को समझता है। अतएव किसी व्यवहार को करने के पूर्व उसके परिणाम को अच्छी तरह समझ लेता है। इसलिए वह अपने उद्देश्य की प्राप्त करने में सफल होता है। किंतु, मूर्ख व्यक्ति में इस क्षमता का अभाव देखा जाता है। इसलिए वह अपने उद्देश्य की प्राप्ति में असफल हो जाता है।
7. आत्म विश्वास-: बुद्धिमान व्यक्ति में आत्म विश्वास का भी होना आवश्यक है। किसी काम को वह आत्म विश्वास के साथ आरंभ करता है। इससे उसे आत्मबल मिलता है तथा कार्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिलती है। इसके विपरीत, मूर्ख या निर्बल बुद्धि के लोगों में इसका अभाव देखा जाता है। उन्हें अपनी योग्यता पर विश्वास नहीं होता है। किसी कार्य को आरंभ करत समय वे डरते रहत ऐसे कि उन्हे सफलता मिलेगी अथवा नहीं। इसका परिणाम यह होता है कि वे प्रायः असफल ही रहते है क्योंकि उनकी क्रिया का कोई ठोस आधार नहीँ होता है।
8. प्रबल प्रेरणा-: बुद्धिमान व्यक्ति अपने कार्य के प्रति पूरी तरह से प्रेरित रहते है।इसका कारण यह है कि उन्हे अपनी सफलता का पूरा विश्वास रहते है।लेकिन,मूर्खों में प्रबल प्रेरणा का अभाव रहता है।
9. सूझ द्वारा सीखना-: बुद्धि की एक विशेषता सूझ भी है। मूर्खों की अपेक्षा बुद्धिमान लोगों में अधिक सूझ होती है। वे अपनी समस्या को सूझ के द्वारा अधिक हल करते है। किन्तु, मूर्ख या निर्बल बुद्धि के लोग सूझ की अपेक्षा भूल या प्रयत्न द्वारा अधिक सीखते हैं।
10. आविष्कार एवं निर्देशन -: आविष्कार तथा निर्देशन भी बुद्धि आवश्यक गुण हैं। बिने नए बुद्धि के इस लक्षण पर जोर देते हुए कि बुद्धिमान व्यक्ति वहीं है जिसमें आविष्कार तथा निर्देशन की क्षमता वर्तमान हो। हमारे दैनिक जीवन के निरीक्षण भी साक्षी है कि बुद्धिमान व्यक्तियों में आविष्कार तथा निर्देशन की क्षमता मूर्खों की अपेक्षा कहीं अधिक होती है ।
इस प्रकार स्पष्ट है कि बुद्धि या बुद्धिमानों की पहचान के कई लक्षण है।

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उत्तर-: बुद्धि का शाब्दिक अर्थ ज्ञान शक्ति तथा मेधा है। यह एक अनुमानित ज्ञान शक्ति है। क्योंकि इसका ज्ञान प्रत्यक्ष रूप से नहीं होता है बल्कि क्रियाओं या व्यवहारों के माध्यम से हो पाता है। जब कोई बालक अपने साथियों की अपेक्षा कम ही समय में याद कर लेता है तो वह अन्य बालकों से अधिक बुद्धिमान समझा जाता है। जो बालक अपने पाठ्य को देर से याद कर पाता है अथवा शिक्षक के प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाता है। वह निर्बल बुद्धि का समझा जाता है। इसी तरह जो व्यक्ति अपने समस्याओं का समाधान शीघ्र ही खोज लेता है तथा जटिल से जटिल वातावरण में भी स्वयं को समायोजित कर लेता है, उसे मेधावी या बुद्धिमान कहा जाता है। दैनिक जीवन के ऐसे परीक्षणों से ज्ञात होता है कि बुद्धि एक ऐसी मानसिक क्षमता है , जिसका अभिव्यक्ति जीवन के विभिन्न पहलुओं के संदर्भ में होती रहती है। इस क्षमता की परिभाषा देना वस्तुतः बड़ा कठिन है।
{काॅलविन तथा पिन्टनर के अनुसार -: बुद्धि वह क्षमता है जो उसे जीवन की नई परिस्थितियों में समुचित रूप से समायोजित होंने में सहायता करता है।}
कोहलर के सूझ सिद्धांत की विवेचना करें।
बुद्धि अथवा बौद्धिक व्यवहार की विशेषताएं(बुद्धिमान लोंगों की पहचान) -:
बुद्धि की विशेषताओं की व्याख्या करने के पूर्व इस बात की चर्चा कर देना आवश्यक जान पड़ता है कि बुद्धि एक अनुमानित चीज है। जिस तरह बिजली का अनुमान हम उसके परिणाम से लगाते है, उसी तरह बुद्धि का अनुमान व्यक्ति के कार्य या व्यवहार से लगाया जाता है। व्यवहार के आधार पर ही हम कहते हैं कि अमुक आदमी अधिक बुद्धिमान है तथा अमुक आदमी कम बुद्धिमान है। अतः बुद्धि की विशेषताओं का तात्पर्य बुद्धियुक्त व्यवहार से है। अतः बुद्धि या बुद्धियुक्त व्यवहार की निम्नलिखित विशेषताएं हैं ----
1. सावधानी-: बुद्धि की एक मुख्य विशेषता सावधानी है। जो व्यक्ति बुद्धिमान होता है,वह अपने वातावरण के प्रति सदैव सावधान रहता है, सदैव जागरूक रहता है।इसलिए वातावरण में किसी प्रकार के परिवर्तन होने पर वह अविलम्ब समायोजन स्थापित कर लेता है। लेकिन, मूर्ख अथवा कम बुद्धिमान व्यक्ति में सावधानी का अभाव रहता है। इसलिए वह अपने वातावरण से समायोजित नहीं हो पाता है या देर से होता है।
2. पर्याप्त धारण शक्ति-: बुद्धिमान व्यक्ति की एक ओर विशेषता यह भी है कि उसमें धारण शक्ति पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है। वह अपने पूर्वअनुभवों को अधिक दिन तक याद रखता है। लेकिन मुर्ख या निर्बल लोंगों यह विशेषता नहीं पायी जाती है। इस संबंध में जो प्रयोगात्मक अध्ययन हुए है उनसे पता चलता है कि बुद्धि तथा धारणा में धनात्मक सहसंबंध है।
3. विचारों का समीकरण-: बुद्धिमान व्यक्ति अपने विचारों का सहज ही समीकरण कर लेते है।वे न केवल अपने पूर्वानुभवों को याद रखते है बल्कि उनका समीकरण करके समस्याओं की आसानी से हल भी कर लेते है। लेकिन , मूर्खों या निर्बल बुद्धि के व्यक्तियों में इस क्षमता की कमी होती है।
4. शीघ्र समायोजन-: बुद्धिमान व्यक्तियों में अभियोजन या समायोजन की क्षमता अधिक होती है। अतः वे जटिल -से -जटिल वातावरण में भी स्वयं को बहुत जल्द समायोजित कर लेते है। लेकिन,मूर्खों में इस क्षमता की कमी होती है। काॅलविन तथा पिन्टनर ने अभियोजन पर जोर देते हुए यहां तक कह दिया की अभियोजन की क्षमता ही बुद्धि है। वास्तव में अभियोजन पर बुद्धि की अन्य विशेषताओं जैसे-: प्रबल धारण , समीकरण, इत्यादि का गहरा प्रभाव पड़ता है।
5. विचारों का परिचालन-: बुद्धिमान व्यक्ति का एक लक्षण यह है कि उसमें चिन्तन की क्षमता अधिक होती है। अमूर्त्त विषयों के संबंध में वह आसानी से चिंतन कर सकता है और सही रूप में उपस्थित कर सकता है। लेकिन, निर्बल बुद्धि के व्यक्तियों में इस क्षमता का अभाव देखा जात है। बुद्धि के इस लक्षण पर बल देते हुए परम तो यहाँ तक कह दिया की अमूर्त चिंतन की क्षमता ही बुद्धि है।
थाॅर्नडाइक के भूल तथा प्रयत्न संबंधित सिद्धांत की विवेचना करें।
6. आत्म मूल्यांकन -: बुद्धिमान व्यक्ति अपनी योग्यताओं की क्षमताओं का मूल्यांकन करने की क्षमता रखता है। वह अपनी सीमाओं को समझता है। अतएव किसी व्यवहार को करने के पूर्व उसके परिणाम को अच्छी तरह समझ लेता है। इसलिए वह अपने उद्देश्य की प्राप्त करने में सफल होता है। किंतु, मूर्ख व्यक्ति में इस क्षमता का अभाव देखा जाता है। इसलिए वह अपने उद्देश्य की प्राप्ति में असफल हो जाता है।
7. आत्म विश्वास-: बुद्धिमान व्यक्ति में आत्म विश्वास का भी होना आवश्यक है। किसी काम को वह आत्म विश्वास के साथ आरंभ करता है। इससे उसे आत्मबल मिलता है तथा कार्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिलती है। इसके विपरीत, मूर्ख या निर्बल बुद्धि के लोगों में इसका अभाव देखा जाता है। उन्हें अपनी योग्यता पर विश्वास नहीं होता है। किसी कार्य को आरंभ करत समय वे डरते रहत ऐसे कि उन्हे सफलता मिलेगी अथवा नहीं। इसका परिणाम यह होता है कि वे प्रायः असफल ही रहते है क्योंकि उनकी क्रिया का कोई ठोस आधार नहीँ होता है।
8. प्रबल प्रेरणा-: बुद्धिमान व्यक्ति अपने कार्य के प्रति पूरी तरह से प्रेरित रहते है।इसका कारण यह है कि उन्हे अपनी सफलता का पूरा विश्वास रहते है।लेकिन,मूर्खों में प्रबल प्रेरणा का अभाव रहता है।
9. सूझ द्वारा सीखना-: बुद्धि की एक विशेषता सूझ भी है। मूर्खों की अपेक्षा बुद्धिमान लोगों में अधिक सूझ होती है। वे अपनी समस्या को सूझ के द्वारा अधिक हल करते है। किन्तु, मूर्ख या निर्बल बुद्धि के लोग सूझ की अपेक्षा भूल या प्रयत्न द्वारा अधिक सीखते हैं।
10. आविष्कार एवं निर्देशन -: आविष्कार तथा निर्देशन भी बुद्धि आवश्यक गुण हैं। बिने नए बुद्धि के इस लक्षण पर जोर देते हुए कि बुद्धिमान व्यक्ति वहीं है जिसमें आविष्कार तथा निर्देशन की क्षमता वर्तमान हो। हमारे दैनिक जीवन के निरीक्षण भी साक्षी है कि बुद्धिमान व्यक्तियों में आविष्कार तथा निर्देशन की क्षमता मूर्खों की अपेक्षा कहीं अधिक होती है ।
इस प्रकार स्पष्ट है कि बुद्धि या बुद्धिमानों की पहचान के कई लक्षण है।

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