Saturday, 17 August 2019

रूसल पुटूस(खोरठा कविता संकलन)


प्रकाशन वर्ष--1985
प्रकाशक--बोकारो खोरठा कमिटी।





1. जोहार(शिवनाथ प्रमाणिक)-- कवि द्वारा झारखंड की धरती,उसकी संस्कृति और झारखंड की प्रमुख भाषा खोरठा का महिमागान,अभिनन्दन।
2. ढीठ(सुकुमार)--- झारखंड में बाहरी तत्वों द्वारा किए जा रहे शोषण अत्याचार की पीडा का वर्णन और व्यंग्य।
3. खँघटल घर(सुकुमार)--- परिवार में आपसी झगडे से उत्पन्न अशांति और उससे होने वाले हानि का वर्णन।
4. हामर मनेक गुमाइर(अकलूराम महतो)--- झारखंड की खनिज और वन संपदा से भरी धरती में बाहरी लोगों का दबदबा और यहां के मूल निवासियों की दुर्दशा पर कविता का दुख प्रदर्शन।
5. दामुदरके कोराञ(शिवनाथ प्रमाणिक) --- कवि के प्रबंध काव्य दामुदारेक कोराइय से उद्धृत इस कविता में झारखंड में बाहर से आए उसको के चरित्र को चूहा के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है।
6. दहेजे दहँजल(शिवनाथ प्रमाणिक)-- उसमें समाज में फैली दहेज की प्रथा पर प्रहार किया गया है। दहेज को दानव का रूप बताते हुए उसे खत्म करने के लिए सभी बुद्धिजीवियों का आवाहन है।
7. आस कवि(बिनोद कुमार)--- दुनिया में सभी आशा विश्वास की डोर में बंधे हैं। माता-पिता जिस तरह अपने संतान पर आशा करते हैं वैसे ही धरती माता भी अपने सपूतों पर। इसलिए अपनी धरती की रक्षा करना, इसकी भाषा संस्कृति को बचाना धरती की संतानों का परम कर्तव्य है।

*खोरठा साहित्य से सोंध माटी का सामान्य परिचय जो आपके JTET के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। अवश्य पढे और आगे भी शेयर करें-)))))*


8. माटी और संस्कृति(बिनोद कुमार)-- झारखंड की धरती शहीदों की धरती है । यहां की संस्कृति आदिवासी और सरदारों की साझी विरासत है। माटी और संस्कृति दोनों पीठिया भाई की तरह है। इनका संरक्षण करना हम सबका दायित्व है।
9. अब ना रहा पटाइल(गजाधर महतो 'प्रभाकर')--- झारखंड में बाहरी लुटेरों का बोलबाला हो रहा है। खान- खनिज पर उनकी नजर है। यहां विकास के नाम माटी बेटी का अपहरण कर रहे हैं । आने वाले दिनों में शोषण दोहन का चक्र और तेज होगा। विरोध करने पर सरकारी दमन भी होगा। इसलिए अब जाग जाए। अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए आंदोलन करें।
10. छोटानागपुर के धरती बडी बलिहारी(चितरंजन महतो)--- छोटा नागपुर आने झारखंड की धरती की प्राकृतिक सुषमा खनिज संपदा की समृद्धि और यहां के लोगों की सादा सरल जीवन शैली का वर्णन औद्योगिकीकरण खनिजों की छोटा नागपुर आने झारखंड की धरती की प्राकृतिक सुषमा खनिज संपदा की समृद्धि और यहां के लोगों की सादा सरल जीवन शैली का वर्णन औद्योगिकीकरण खनिजों की खुदाई और जंगलों की कटाई से उत्पन्न इस धरती में हो रहे नकारात्मक बदलाव की चिंता इस कविता में दिखाई गई है।
11. भुतेक डर(रामशरण विश्वकर्मा)---।
12. दुरंग,दुढंग(रामशरण विश्वकर्मा) ।
13. साइभताक सुपट फनगी(रीतू महतो)।
14. भगजोगानिक राइत(रीतू महतो)।
15. उठ,जाग झारखंडी,अब तो नजइर खोल(डाॅ. बी.एन.ओहदार)।
16. 'ना पूछ,हामिन हिंया कइसे जीय ही'(डाॅ .बी.एन.ओहदार)
17. आपन नोखें कोडल(प्रदीप कुमार दीपक)।
18. छीन लेलक सोनाक थारी(प्रदीप कुमार दीपक)।
19. जीबें जोदि सइ देश(प्रह्लाद चन्द्र दास)।
20. तितकी(फटी चंद्र झा)-:
21. कइसे देबइ बीहा(बंशी लाल बंशी)
22. सइ परासेक तीने पात(बंशी लाल बंशी)
23. नारी हामर माँय(शांति भारत)
24. रूसल पुटूस(गिरधारी गोस्वामी)-:
25. तितकी और बारूद(गोविन्द महतो जंगली)--
26. मीरा चाही, गोला नाइअ(ए.के.झा)।
*खोरठा साहित्य से सोंध माटी का सामान्य परिचय जो आपके JTET के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। अवश्य पढे और आगे भी

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