खरवार
---)) खरवार की अधिकतर संख्या पलामू, रांची तथा हजारीबाग में थी।
---)) खरवार परंपरा के अनुसार वे खेरीझार से आते थे , इसलिए खरवार कहलाये।
-)) खरवारों का प्रमुख पेशा कृषि धर्म था।
-))) इनमें बाल विवाह को श्रेष्ठ माना जाता है।वधू मूल्य देने की प्रथा थी।
-)) खरवारों की अपनी पंचायत होती थी।जिसके सदस्य गांव के ही वरिष्ठ पुरुष होते थे।
-)) कई गांव मिलकर चट बनता था जिसका प्रमुख प्रधान कहा जाता था। इसका पद वंशानुगत होता था।
-))) खरवारों में घुमकुरिया जैसी कोई संस्था नहीं थी।
-)) कोई स्त्री निःसंतान थी तो उसकी बहन का विवाह जीजा के साथ हो सकता था। ऐसे विवाह को 'रिजनिया' कहा जाता था।
-))) पलामू तथा रांची में खरवार ग्राम पंचायत का प्रमुख मुखिया कहा जाता था, किंतु शाहाबाद में उसे बैगा ही कहते थे।
-))) बैगा ही प्रत्येक गांव में फसल बोने अथवा काटने का शुभारंभ करता था।
-)) खरवार मुखिया गांवों से हूं राजस्व एकत्रित कर जमींदार को देता था।
--)) खरवार पंचायत एक सर्वमान्य संस्था थी और 1947 ई तक खरवारों के अधिकांश पारस्परिक झगड़े पंचायत स्तर पर ही निपटा लिए जाते थे।
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