टाना भगत आंदोलन(1914)
-) टाना भगत आंदोलन के जनक जतरा भगत का जन्म 1888 ई में गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड के अंतर्गत चिंगरी नावाटोली में हुआ था।
-) पिता का नाम कोहरा भगत और माता का नाम लिबरी भगत था। पत्नी बुधनी भगत थी।
-) प्रत्येक वर्ष गांधी जयंती के दिन चिगरी नावाटोला में इनकी जयंती मनाई जाती है।
-) इनको आत्म बोध की प्राप्ति 1914 ई में गुरु ग्राम हेसराग के श्री तुरीया भगत से तंत्र -मंत्र की विद्या सीखने के क्रम में हुआ।
-)टाना भगत आंदोलन की शुरुआत अप्रिल 1914 ई में हुई।
-) टाना शब्द का अर्थ है टानना या खींचना।
-) टाना भगतों की अधिकांश आबादी बिशनपुरा,घाघरा, गुमला,रायडीह, चैनपुर,पालकोट,सिसई, लापुंग,कुडूं तथा मांडर में केन्द्रित है। इनकी कुल संख्या प्रायःदस हजार है जो लगभग 150 परिवारों में विभक्त है।
-) टाना भगत मांस खा सकते थे मांसभक्षी भगत जुलाहा भगत कहे गये ये मांडर क्षेत्र में पाते जाते है। जिन लोगों ने शिबू भगत का अनुखरण नहीं किया वे अरूवा भगत कहलाये क्योंकि वे केवल अरवा चावल ही खाते थे।
-) घाघरा क्षेत्र में बेलगाडा़ निवासी बलराम भगत ने भगत सम्प्रदाय की बागडोर संभाली।
-) बिशनपुर थाना के उरावां ग्राम के भीखू भगत ने बिष्णु भगत सम्प्रदाय को जन्म दिया।
-) 1961 में जतरा भगत को जेल हुई और इस शर्त पर छोड़ा गया कि वह अपने सिद्धांतों का प्रचार नहीं करेगा और शांति बनाते रखेगा।पर जेल में मिली प्रताड़ना की वजह से दो मास के भीतर उसकी मौत हो गई।
-) आंदोलन नहीं रूका और 1916 के अंत तक रांची जिला के दक्षिण पश्चिम भागों से मध्य भाग होते हुए विशेषतः बेड़ी,कुडुं,मांडर, थानों में तथा उत्तर में पलामू जिला तक फैला।
-)भगतों ने राजा के समक्ष चार प्रस्ताव रखा ---
1----उन्हें स्वशासन प्रदान किया जाय।
2------राजा का पद समाप्त किया जाय।
3------समानता स्थापित किया जाय।
4-------भूमि कर समाप्त किया जाय।
-) महात्मा गांधी ने 1921 ई में सविनय अवज्ञा आन्दोलन को प्रारंभ किया तो कुडुं थाना के सिद्धु भगत के नेतृत्व में टाना भगत पहली बार स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गये।
-) टाना भगतों में केवल उरांव ही नहीं है उनमें मुंडा और खड़िया भी शामिल हैं।फिर भी सबसे ज्यादा संख्य में उरांव ही हैं।
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