हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों की खातिर।
उन चंद चतुर लोगों की बेहिसाब चतुराईयों के खातिर।।
यह वक्त हिसाब से अपने बदले या ना बदले।
हमें उठकर बदलना होगा वक्त को उन शातिर भाइयों के खातिर।।
*हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों के खातिर---2*
गुनाहों का दौर शुरू कर उसने, मिटाने शुरू कर दिए अपने परछाइयों को फिर।
मर ना जाए फिर से कोई निर्बल बेसहारा हो कर,
चंद नोटों के बंडल के रुसवाइयों के खातिर ।।
*हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों के खातिर ---2*
टूट पड़ रहे है घर- घर से अब भी लोभी, सपने हवाईयों के खातिर।
दु:ख तो खुद झेल सकते नहीं पर दुःख दे रहे हैं चंद बंडल रुपयों की खातिर।।
*हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों के खातिर ---2*
अंजाम दे दे ना फिर से कोई छुप कर बुरा, निर्बल बेसहारों के ऊपर नकाब पहन कर फिर।
नकाब धारियों को हमें पकड़ना होगा,बेचारी के रूसवाइयों के खातिर।।
*हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों के खातिर ----2*
सुना है भाव नहीं मिलता यहाँ आपके दर्द और रुसवाइयों के खातिर।
टूट -टूट कर कितना जिंदा रहेगी बेचारी, फांसी लगा लेगी या तंग आकर खा लेगी गोलियाँ फिर।।
*हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों की खातिर ---2*
*----हरि ओम्।*
उन चंद चतुर लोगों की बेहिसाब चतुराईयों के खातिर।।
यह वक्त हिसाब से अपने बदले या ना बदले।
हमें उठकर बदलना होगा वक्त को उन शातिर भाइयों के खातिर।।
*हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों के खातिर---2*
गुनाहों का दौर शुरू कर उसने, मिटाने शुरू कर दिए अपने परछाइयों को फिर।
मर ना जाए फिर से कोई निर्बल बेसहारा हो कर,
चंद नोटों के बंडल के रुसवाइयों के खातिर ।।
*हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों के खातिर ---2*
टूट पड़ रहे है घर- घर से अब भी लोभी, सपने हवाईयों के खातिर।
दु:ख तो खुद झेल सकते नहीं पर दुःख दे रहे हैं चंद बंडल रुपयों की खातिर।।
*हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों के खातिर ---2*
अंजाम दे दे ना फिर से कोई छुप कर बुरा, निर्बल बेसहारों के ऊपर नकाब पहन कर फिर।
नकाब धारियों को हमें पकड़ना होगा,बेचारी के रूसवाइयों के खातिर।।
*हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों के खातिर ----2*
सुना है भाव नहीं मिलता यहाँ आपके दर्द और रुसवाइयों के खातिर।
टूट -टूट कर कितना जिंदा रहेगी बेचारी, फांसी लगा लेगी या तंग आकर खा लेगी गोलियाँ फिर।।
*हमें फिर से लड़ना होगा उन बुराइयों की खातिर ---2*
*----हरि ओम्।*
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