*राष्ट्रभाषा*
भाषा का दूसरा रूप 'राष्ट्रभाषा' का है। राष्ट्रभाषा वह होती है, जो देश के बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली जाती हो और जिसमें राष्ट्र के निवासी परस्पर विचारों का आदान प्रदान करते हो। स्वतंत्रता के पूर्व भी भारत की राष्ट्रभाषा सही मायने में हिंदी थी। हिंदी में ही धुर दक्षिण में स्थित रामेश्वरम् के आसपास के लोग भारतीयों का स्वागत करते थे, भारत के अनेक तीर्थो में लोग किसी भाषा का व्यवहार करते थे। कोलकाता, मुंबई, कराची, लाहौर आदि नगरों में यह भाषा अपरिचित नहीं थी। हमारे राष्ट्र भारत के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन था --14 सितंबर 1949। उस दिन भारतीय संविधान-- सभा ने सर्वसम्मति से स्वतंत्र भारत गणतंत्र- संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकारा था । उस दिन तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, पंजाबी, हिंदी, बांग्ला, असमिया और उड़िया को राज्यों की राजभाषा के रूप में स्वीकारा था। इसी राज्य की राजभाषा वर्ग में कोंकणी, नेपाली, मणिपुरी को भी सम्मिलित किया गया है । संविधान के इसी राजभाषा वर्ग में संस्कृत, उर्दू तथा सिंधी भाषा को राष्ट्रभाषा रूप में स्वीकारा गया है।
भाषा का दूसरा रूप 'राष्ट्रभाषा' का है। राष्ट्रभाषा वह होती है, जो देश के बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली जाती हो और जिसमें राष्ट्र के निवासी परस्पर विचारों का आदान प्रदान करते हो। स्वतंत्रता के पूर्व भी भारत की राष्ट्रभाषा सही मायने में हिंदी थी। हिंदी में ही धुर दक्षिण में स्थित रामेश्वरम् के आसपास के लोग भारतीयों का स्वागत करते थे, भारत के अनेक तीर्थो में लोग किसी भाषा का व्यवहार करते थे। कोलकाता, मुंबई, कराची, लाहौर आदि नगरों में यह भाषा अपरिचित नहीं थी। हमारे राष्ट्र भारत के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन था --14 सितंबर 1949। उस दिन भारतीय संविधान-- सभा ने सर्वसम्मति से स्वतंत्र भारत गणतंत्र- संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकारा था । उस दिन तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, पंजाबी, हिंदी, बांग्ला, असमिया और उड़िया को राज्यों की राजभाषा के रूप में स्वीकारा था। इसी राज्य की राजभाषा वर्ग में कोंकणी, नेपाली, मणिपुरी को भी सम्मिलित किया गया है । संविधान के इसी राजभाषा वर्ग में संस्कृत, उर्दू तथा सिंधी भाषा को राष्ट्रभाषा रूप में स्वीकारा गया है।
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