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Saturday, 21 July 2018

कोहलर के सूझ सिद्धांत की विवेचना करें।

कोहलर के सूझ सिद्धांत की विवेचना करें।
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उत्तर-: सूझ सिद्धांत का प्रतिपादन कोहलर तथा कोफ्फाक ने किया।ये दोनों गेस्टाल्टवादी मनोवैज्ञानिक थे। उन्होंनें शिक्षण में सूझ पर जोर दिया और बताया की प्राणी अपनी समस्या को समझबूझ के द्वारा हल करना सीखता है । समस्या के विभिन्न पहलुओं तथा उसके समाधान के सही मार्ग का बोध हो जाना ही सुझ है। उन्होंने अपने विचार को प्रमाणित करने के लिए कई खोज किए। उनके अधिकांश प्रयोग बंदरों तथा वनमानुषों पर हुआ। नीचे दो प्रयोगोंका वर्णन किया जा रहा है।

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थार्नडाइक का भूल संबंधित सिद्धांत की विवेचना करें।



छड़ी समस्या प्रयोग-: कोहली ने सुलतान नामक एक तीव्र बुद्धि के वनमानुष को पिंजरे में बंद कर दिया। वनमानुष भूखा था । वहीं ठीक पिंजरे के बाहर इतनी दूरी पर केला रख दिया गया था जो उसकी पहुँच से तब तक बाहर था जब तक कोई युक्ति लगा कर उसे हासिल करने का प्रयास न किया जाया। पहले तो वनमानुष ने उसे पाने के बहुत जद्दोजहद किया लेकिन सफलता ना मिली। शांत थककर बैठ गया। इस बीच उसे पास रखे दो छड़ी दिखी जिससे से वह खेलने लगा । इस छडी की खासियत यह थी कि जरूरत पड़ने पर उसे जोड़कर एक करके लम्बा किया जा सकता था। पहले तो उसने एक छड़ी को आगे करके केले को प्राप्त करना चाहा पर सफल न हुआ। खेल- खेल में वनमानुष ने छड़ी को सहसा जोड़कर लम्बा कर लिया । अचानक से उसका विचार केले को प्राप्त करने की ओर गया और उसने छड़ी को लम्बा करके केले को प्राप्त करके अपनी भूख को शांत किया । दूसरे ,तीसरे और चौथे दिन भी सुलतान के साथ इसी प्रका रखी क्रिया दुहराई गयी पर इस बार सुलतान ने बहुत कम समय में ही केले को प्राप्त करना सीख गया।

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बाॅक्स समस्या प्रयोग-: इस प्रयोग में कोहली ने भूखे वनमानुष को एक कमरे में बंद कर दिया और छत पे केले के गुच्छे को इस शर्त के साथ लटका दिया की उछल-कूद के सहज क्रिया के बाद उस केले के गुच्छे को प्राप्त न किया जा सके। भूख से बेचैन वनमानुष कुछ देर के उछल-कूद के बाद चुपचाप बैठ गया और अचानक से उसकी नजर कमरे के अंदर पडे बक्से के ऊपर गयी। उसने केले के दूरी को देखा। इस दौरान उसने परिस्थिति को समझते हुआ बक्स के ऊपर बाक्स को रखा और केले को प्राप्त कर लिया। दूसरे , तीसरे दिन इस प्रकार की समस्या जब उस वनमानुष के साथ उत्पन्न की गयी तो उसने फौरन केले को प्राप्त करना सीख लिया।



सूझ द्वारा सीखने की विशेषताएं-; कोहलर के उपर्युक्त दोनों प्रयोगमों के विश्लेषण के आधार पर सूझ द्वारा सीखने की निम्नांकित विशेषताएं स्पष्ट होती है-:
1. प्रणोदन-: सीखने के लिए प्रणोदन आवश्यक है। यदि वनमानुष में भूख की प्रेरणा नहीं होती तो वह छड़ियों को जोड़कर या बक्से पर बक्सा रख कर केले को प्राप्त करना नहीं सीख पाता है।
2. समस्या की छानबीन-: प्राणी के सामने जब कोई समस्या उपस्थित होती है तो वह उसको समझने का भरसक प्रयास करता है। समस्यात्मक परिस्थिति के विभिन्न अंगों के समझने की कोशिश करता है।
3. हिचकिचाहट-: जब प्राणी अपनी समस्या को नहीं समझ पाता है तो वह किसी तरह की प्रतिक्रिया करने में हिचकिचाहट का अनुभव करने लगता है। फलतः वह शिथिलता की अवस्था में चला जाता है। जैसे - कोहलर का वनमानुष जब उछल कूद कर छत से लटके केले को न पा सका तो वह चुपचाप बैठ गया।
4. अचानक सफलता-: सूझ के द्वारा सीखने की एक बहुत बड़ी विशेषता यह है कि प्राणी को अचानक सफलता मिल जाती है।वास्तव में प्राणी शिथिलता की अवस्था में भी मानसिक रूप से सक्रिय रहता है। वह अपनी समस्यात्मक परिस्थिति को समझने की कोशिश करता है। ज्यों ही परिस्थिति उसकी समझ में जाती है अर्थात् सूझ मिल जाती है, वह सहसा अपनी समस्या को हल कर लेता है।
5. सहज स्थानांतरण-: यर्क्स के अनुसार सूझ द्दारा सीखने की एक मुख्य विशेषता यह बताई गयी है कि इसमें स्थानान्तरण सहज तथा प्रभावपूर्ण होता है। एक परिस्थिति में प्राणी जब एक विषय को सीख लेता है तो बड़ी आसानी से उसका उपयोग दूसरी परिस्थिति में करता है।


सूझ सिद्धांत का शैक्षिक आशय एवं मूल्यांकन-:

शैक्षिक दृष्टिकोण से यह सिद्धांत बहुत ही महत्वपूर्ण है। कारण यह है कि बालकों के शिक्षण की व्याख्या इसके आधार पर एक बड़ी हद तक हो जाती है। विशेष रूप से प्रतिभाशाली या तेज बुद्धि के बालक प्रायः सूझ के द्वारा ही सीखते है। अंकगणित या रेखागणित जैस विषयों के शिक्षण की व्याख्या इस सिद्धांत के आधार पर बहुत अंशों में हो जाती है। यहां तक की विभिन्न प्रकार के क्रियात्मक शिक्षण में भी सूझ की आवश्यकता होती है। इस सिद्धांत के आधार पर जो कुछ सीखा जाता है वह अधिक टिकाऊ होता है और उसका स्थानान्तरण भी सहज एवं प्रभावी होता है। यही कारण है कि आधुनिक शिक्षा मनोवैज्ञानिक ने बालकों के शिक्षण में इस सिद्धांत के उपयोग पर अधिक जोर दिया है। तीव्र बुद्धि के ब

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