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Tuesday, 8 September 2020

बिरसा आंदोलन

 बिरसा आंदोलन



-)बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 ई को हुआ था।
-) उन दिनों तमाड़ थाना क्षेत्र के उलिहातू में हुआ था।
-) पिता सुगना मुंडा थे और माता कदमी मुंडा थी। इनके बड़े भाई का नाम कोंता मुंडा था।
-) इनका मामा घर अयुबहातू था और नाना जी डिबर मुंडा थे। मौसी जोनी मुंडा अपने साथ ससुराल खटांगा ले गयी।
-) गौडबेडा के आनंद पांडा के सर्म्पक में आया। जहां उस पर बैष्णव धर्म का प्रभाव पड़ा।
-) सबसे पहले बिरसा ईसाई धर्म प्रचारक के सम्पर्क आया।
-) कुंदी बरटोली में बिरसा की भेंट एक जर्मन पादरी से हो गई ,जो उसे बारजो ले गया, जहां पर उसने निम्न प्राथमिक परीक्षा में उत्तीर्ण का प्राप्त की।
-) चालकद बिरसा के अनुयायियों का तीर्थ स्थल है।
-) बिरसा ने चाईबासा से उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा 1890 ईसवी में पास की।
-) सिंहभूम के संकराग्राम की एक युवती से बिरसा का विवाह हुआ पर बाद में उन्होंने यह विवाह का रिश्ता तोड़ दिया।
-) बिरसा ने लोगों से सिंगबोंगा की उपासना करने का आग्रह किया।
-) बिरसा के वारंट की तामीली का काम पुलिस डिप्टी सुपरिंटेंडेंट जी०आर ०के० मेयर्स को सौंपा गया था।
-) बिरसा आंदोलन का द्वितीय चरण  तब शुरू हुआ जब 1897 ईस्वी के उत्तरार्ध में बिरसा तथा उसके 15 अनुयायियों को हजारीबाग जेल से महारानी विक्टोरिया के शासन के हीरक जयंती के अवसर पर सजा की मियाद पूरी होने के कुछ दिन पहले छोड़ा गया था।
-) 1898-99 ईसवी में संपूर्ण मुंडा प्रदेश में अकाल एवं महामारी का प्रकोप हो गया , जिसका बिरसा ने फायदा उठाते हुए लोगों को सहयोग करते हुए एकजुट किया और अपने विद्रोह की तैयारी करते हुए लोगों को संगठित किया।
-) बिरसा के सेना का मुख्यालय खूंटी में था।
-) 28 जनवरी 1900 को दो मुंडा सरदारों डोंका मुंडा और मांझिया मुंडा ने 32 विद्रोहियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया।
-) बिरसा मुंडा को पकड़ने के लिए ₹500 के इनाम की घोषणा की गई थी।
-) बनगांव के जग मोहन सिंह के आदमियों वीर सिंह महली आदि ने इनाम के लालच में बिरसा को 3 मार्च 1980 को पकड़ा दिया।
-) मुकदमा के दौरान ही जेल में बंद बिरसा का 9 जून 1980 को निधन हो गया।
-) 1902में गुमला तथा 1903 में में खूंटी अनुमंडल खोले गए।
-) बंगाल काश्तकारी कानून की जगह 11 नवंबर 1908 ईस्वी को छोटानागपुर काश्तकारी कानून लागू किया गया।
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