♓🅰♉🚩🅾♏
*इतिहास के पन्नों में दर्ज 24 दिसंबर की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ।*
23 दिसंबर का इतिहास जरूर पढ़ें ।
1524 - यूरोप से भारत तक पहुँचने के समुद्री मार्ग का पता लगाने वाले पुर्तग़ाली खोजी नाविक वास्को डी गामा का कोच्चि (भारत) में निधन हो गया।
1715....स्वीडन की सेना ने नार्वे पर कब्जा किया।
1798....रूस और ब्रिटेन के बीच दूसरे फ्रांस विरोधी गठबंधन पर हस्ताक्षर।
1894....कलकत्ता में पहले मेडिकल कांफ्रेस का आयोजन।
1906-:{रेडियो का इतिहास}-:24 दिसंबर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियोऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, वह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी।
इससे पहले जे सी बोस ने भारत में तथा मार्कोनी ने सन 1900 में इंग्लैंड से अमरीकाबेतार संदेश भेजकर व्यक्तिगत रेडियो संदेश भेजने की शुरुआत कर दी थी, पर एक से अधिक व्यक्तियों को एकसाथ संदेश भेजने या ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत 1906 में फेसेंडेन के साथ हुई। ली द फोरेस्ट और चार्ल्स हेरॉल्ड जैसे लोगों ने इसके बाद रेडियो प्रसारण के प्रयोग करने शुरु किए। तब तक रेडियो का प्रयोग सिर्फ नौसेना तक ही सीमित था। 1917 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद किसी भी गैर फौज़ी के लिये रेडियो का प्रयोग निषिद्ध कर दिया गया।
पहला रेडियो स्टेशन
1918 में ली द फोरेस्ट ने न्यू यॉर्क के हाईब्रिज इलाके में दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन शुरु किया। पर कुछ दिनों बाद ही पुलिस को ख़बर लग गई और रेडियो स्टेशन बंद करा दिया गया।
नवंबर 1941 को सुभाष चंद्र बोस ने रेडियो जर्मनी से भारतवासियों को संबोधित किया।
एक साल बाद ली द फोरेस्ट ने 1919 में सैन फ्रैंसिस्को में एक और रेडियो स्टेशन शुरु कर दिया।
नवंबर 1920 में नौसेना के रेडियो विभाग में काम कर चुके फ्रैंक कॉनार्ड को दुनिया में पहली बार क़ानूनी तौर पर रेडियो स्टेशन शुरु करने की अनुमति मिली।
कुछ ही सालों में देखते ही देखते दुनिया भर में सैंकड़ों रेडियो स्टेशनों ने काम करना शुरु कर दिया।
रेडियो में विज्ञापन की शुरुआत 1923 में हुई। इसके बाद ब्रिटेन में बीबीसीऔर अमरीका में सीबीएस और एनबीसी जैसे सरकारी रेडियो स्टेशनों की शुरुआत हुई।
भारत और रेडियो===---
1927 तक भारत में भी ढेरों रेडियो क्लबों की स्थापना हो चुकी थी। 1936 में भारत में सरकारी ‘इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई जो आज़ादी के बाद ऑल इंडिया रेडियो या आकाशवाणी बन गया।
1939 में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत होने पर भारत में भी रेडियो के सारे लाइसेंस रद्द कर दिए गए और ट्रांसमीटरों को सरकार के पास जमा करने के आदेश दे दिए गए।
नरीमन प्रिंटर उन दिनों बॉम्बे टेक्निकल इंस्टीट्यूट बायकुला के प्रिंसिपल थे। उन्होंने रेडियो इंजीनियरिंग की शिक्षा पाई थी। लाइसेंस रद्द होने की ख़बर सुनते ही उन्होंने अपने रेडियो ट्रांसमीटर को खोल दिया और उसके पुर्जे अलग अलग जगह पर छुपा दिए।
इस बीच गांधी जी ने अंग्रेज़ों भारत छोडो का नारा दिया। गांधी जी समेत तमाम नेता 9 अगस्त 1942 को गिरफ़्तार कर लिए गए और प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई।
कांग्रेस के कुछ नेताओं के अनुरोध पर नरीमन प्रिंटर ने अपने ट्रांसमीटर के पुर्जे फिर से एकजुट किया। माइक जैसे कुछ सामान की कमी थी जो शिकागो रेडियो के मालिक नानक मोटवानी की दुकान से मिल गई और मुंबई के चौपाटी इलाक़े के सी व्यू बिल्डिंग से 27 अगस्त 1942 को नेशनल कांग्रेस रेडियो का प्रसारण शुरु हो गया।
इस बीच गांधी जी ने अंग्रेज़ों भारत छोडो का नारा दिया। गांधी जी समेत तमाम नेता 9 अगस्त 1942
को गिरफ़्तार कर लिए गए और प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई।
पहला प्रसारण===-=-=
अपने पहले प्रसारण में उद्घोषक उषा मेहता ने कहा, “41.78 मीटर पर एक अंजान जगह से यह नेशनल कांग्रेस रेडियो है।”
रेडियो पर विज्ञापन की शुरुआत 1923 में हुई
इसके बाद इसी रेडियो स्टेशन ने गांधी जी का भारत छोडो का संदेश, मेरठ में 300 सैनिकों के मारे जाने की ख़बर, कुछ महिलाओं के साथ अंग्रेज़ों के दुराचार जैसी ख़बरों का प्रसारण किया जिसे समाचारपत्रों में सेंसर के कारण प्रकाशित नहीं किया गया था।
पहला ट्रांसमीटर 10 किलोवाट का था जिसे शीघ्र ही नरीमन प्रिंटर ने और सामान जोडकर सौ किलोवाट का कर दिया। अंग्रेज़ पुलिस की नज़र से बचने के लिए ट्रांसमीटर को तीन महीने के भीतर ही सात अलग अलग स्थानों पर ले जाया गया।
12 नवंबर 1942 को नरीमन प्रिंटर और उषा मेहता को गिरफ़्तार कर लिया गया और नेशनल कांग्रेस रेडियो की कहानी यहीं ख़त्म हो गई।
नवंबर 1941 में रेडियो जर्मनी से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भारतीयों के नाम संदेश भारत में रेडियो के इतिहास में एक और प्रसिद्ध दिन रहा जब नेताजी ने कहा था, “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा।”
इसके बाद 1942 में आज़ाद हिंद रेडियो की स्थापना हुई जो पहले जर्मनी से फिर सिंगापुर और रंगून से भारतीयों के लिये समाचार प्रसारित करता रहा।
आज़ादी के बाद====---
आज़ादी के बाद अब तक भारत में रेडियो का इतिहास सरकारी ही रहा है।
आज़ादी के बाद भारत में रेडियो सरकारी नियंत्रण में रहा
सरकारी संरक्षण में रेडियो का काफी प्रसार हुआ। 1947 में आकाशवाणी के पास छह रेडियो स्टेशन थे और उसकी पहुंच 11 प्रतिशत लोगों तक ही थी। आज आकाशवाणी के पास 223 रेडियो स्टेशन हैं और उसकी पहुंच 99.1 फ़ीसदी भारतीयों तक है।
टेलीविज़न के आगमन के बाद शहरों में रेडियो के श्रोता कम होते गए, पर एफएम रेडियो के आगमन के बाद अब शहरों में भी रेडियो के श्रोता बढने लगे हैं। पर गैरसरकारी रेडियो में अब भी समाचार या समसामयिक विषयों की चर्चा पर पाबंदी है।
इस बीच आम जनता को रेडियो स्टेशन चलाने देने की अनुमति के लिए सरकार पर दबाव बढता रहा है।
1995 में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि रेडियो तरंगों पर सरकार का एकाधिकार नहीं है। सन 2002 में एनडीए सरकार ने शिक्षण संस्थाओं को कैंपस रेडियो स्टेशन खोलने की अनुमति दी। 16 नवम्बर 2006 को यूपीए सरकार ने स्वयंसेवी संस्थाओं को रेडियो स्टेशन खोलने की इज़ाज़त दी है।
इन रेडियो स्टेशनों में भी समाचार या समसामयिक विषयों की चर्चा पर पाबंदी है पर इसे रेडियो जैसे जन माध्यम के लोकतंत्रीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम माना जा रहा है।
रेडियो की भाषा===-
प्रकाशन और प्रसारण की भाषा में अंतर है. भारी भरकम लंबे शब्दों से हम बचते हैं, (जैसे, प्रकाशनार्थ, द्वंद्वात्मक, गवेषणात्मक, आनुषांगिक, अन्योन्याश्रित, प्रत्युत्पन्नमति, जाज्वल्यमान आदि. ऐसे शब्दों से भी बचने की कोशिश करते हैं जो सिर्फ़ हिंदी की पुरानी किताबों में ही मिलते हैं – जैसे अध्यवसायी, यथोचित, कतिपय, पुरातन, अधुनातन, पाणिग्रहण आदि.
एक बात और. बहुत से शब्दों या संस्थाओं के नामों के लघु रूप प्रचलित हो जाते हैं जैसे यू. एन., डब्लयू. एच. ओ. वग़ैरह. लेकिन हम ये भी याद रखते हैं कि हमारे प्रसारण को शायद कुछ लोग पहली बार सुन रहे हों और वे दुनिया की राजनीति के बारे में ज़्यादा नहीं जानते हों.
इसलिए, यह आवश्यक हो जाता है कि संक्षिप्त रूप के साथ उनके पूरे नाम का इस्तेमाल किया जाए. जहाँ संस्थाओं के नामों के हिंदी रूप प्रचलित हैं, वहाँ उन्हीं का प्रयोग करते हैं (संयुक्त राष्ट्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन) लेकिन कुछ संगठनों के मूल अँग्रेज़ी रूप ही प्रचलित हैं जैसे एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वाच.
संगठनों-संस्थाओं के अलावा, नित्य नए समझौतों-संधियों के नाम भी आए दिन हमारी रिपोर्टों में शामिल होते रहते हैं. ऐसे नाम हैं- सीटीबीटी और आइएईए वग़ैरह. भले ही यह संक्षिप्त रूप प्रचलित हो चुके हैं मगर सुनने वाले की सहूलियत के लिए हम सीटीबीटी कहने के साथ-साथ यह भी स्पष्ट करते चलते हैं कि इसका संबंध परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध से है. या कहते हैं आइएईए यानी संयुक्त राष्ट्र की परमाणु ऊर्जा एजेंसी.
कई बार जल्दबाज़ी में या नए तरीक़े से न सोच पाने के कारण घिसे पिटे शब्दों, मुहावरों या वाक्यों का सहारा लेना आसान मालूम पड़ता है. लेकिन इससे रेडियो की भाषा बोझिल और बासी हो जाती है. ज्ञातव्य है, ध्यातव्य है, मद्देनज़र, उल्लेखनीय है या ग़ौरतलब है – ऐसे सभी प्रयोग बौद्धिक भाषा लिखे जाने की ग़लतफ़हमी तो पैदा कर सकते हैं पर ये ग़ैरज़रूरी हैं.
एक और शब्द है द्वारा. इसे रेडियो और अख़बार दोनों में धड़ल्ले से प्रयोग किया जाता है लेकिन ये भी भाषाई आलस्य का नमूना है. क्या आम बातचीत में कभी आप कहते हैं कि ये काम मेरे द्वारा किया गया है? या सरकार द्वारा नई नौकरियाँ देने की घोषणा की गई है? अगर द्वारा शब्द हटा दिया जाए तो बात सीधे सीधे समझ में आती है और कहने में भी आसान हैः (ये काम मैंने किया. या सरकार ने नई नौकरियाँ देने की घोषणा की है.)
रेडियो की भाषा मंज़िल नहीं, मंज़िल तक पहुँचने का रास्ता है. मंज़िल है- अपनी बात दूसरों तक पहुँचाना. इसलिए, सही मायने में रेडियो की भाषा ऐसी होनी चाहिए जो बातचीत की भाषा हो, आपसी संवाद की भाषा हो. उसमें गर्माहट हो जैसी दो दोस्तों के बीच होती है. यानी, रेडियो की भाषा को क्लासरुम की भाषा बनने से बचाना बेहद ज़रुरी है.
याद रखने की बात यह भी है कि रेडियो न अख़बार है न पत्रिका जिन्हें आप बार बार पढ़ सकें. और न ही दूसरी तरफ़ बैठा श्रोता आपका प्रसारण रिकॉर्ड करके सुनता है.
आप जो भी कहेंगे, एक ही बार कहेंगे. इसलिए जो कहें वह साफ-साफ समझ में आना चाहिए. इसलिए रेडियो के लिए लिखते समय यह ध्यान में रखना ज़रूरी है कि वाक्य छोटे-छोटे हों, सीधे हों. जटिल वाक्यों से बचें.
साथ ही इस बात का ध्यान रखिए कि भाषा आसान ज़रूर हो लेकिन ग़लत न हो।
रेडियो समाचार===-
रेडियो समाचार की प्रकृति
रेडियो समाचार मूल तत्व को प्रभावी बनाती है। रेडियो के लिए समाचार लिखते समय सर्वप्रथम शीर्ष पंक्तिया देकर मुख्य विवरण और फिर संवाद का वर्णन किया जाता है। अल्प महत्व एवं साधारण विवरण हेतु रेडियो में समय प्रदान करने का प्रावधान नहीं है। समाचार-पत्रों में मुख्य विवरण को इंट्रों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, उसके बाद विस्तृत विवरण तथा अन्य कम महत्व को विवरण समाचार की गुणवत्ता, उसका मूल्यांकन तथा स्थान की उपलब्धता को देखते हुए दिया जाता है। एक अच्छे रेडियो संवाददाता से यह अपेक्षा की जाती है कि वह समाचारों, संबंधित तथ्यों व आँकड़ों की षुद्धता, सत्यता तथा विष्वसनीयता के प्रति स्वयं आष्वस्त हो लें। उसके बाद ही समाचार को सतर्कतापूर्वक प्रेषित करना चाहिए, क्योंकि कोई भी छोटी सी भूल एक ओर जहाँ संवाददाता की बनी-बनाई प्रतिष्ठा को बट्टा लगा सकती है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की खामियों से रेडियो प्रतिष्ठान की छवि प्रभावित होने का खतरा भी बना रहता है। यहाँ यह भी ध्यान रखना आवष्यक है कि समाचार-पत्र दिन में एक बार प्रकाषित होता हैा, परंतु रेडियो द्वारा समाचार प्रायः आधा या एक घंटे की अवधि के उपरांत क्रमषः प्रसारित होते रहते हैं। इस बसके चलते यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि किसी घटना विषेष अथवा विषिष्ट आयोजन से संबंधित दी जानेवाली जानकारियों में त्वरित नवीनता बनी रहे। इसके लिए संवाददाताओं से भी यह अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी मामले की निरंतर ताजा व नवीन जानकारियों से रेडियो स्टेषन को सूचित कराते रहें।
विपरीत परिस्थितियों एवं प्रतिकूल समय में कार्य करते हुए भी एक अच्छे रेडियो संवाददाता को किसी भी तरह की गलती करने की छूट नहीं होती। तत्काल वास्तविक समाचार प्रेषित करना निरंतर अभ्यास से संभव हो पाता है। एक रेडियो संवाददाता समाचार लिखने के तुरंत बाद बुलेटिन प्रसारित होने वाले स्थान अथवा न्यूज-रूम तक उसे बिना किसी विलंब के प्रेषित करता है। वहाँ क्रम व महत्व के अनुसार समाचार को चयनित करके संबंधित बुलेटिन में षामिल किया जाता है। तथ्यों की सत्यता एवं विवरण की विष्वसनीयता को परखने के लिए अन्य माध्यमों के संवाददाता की भांति रेडियो संवाददाता को भी विभिन्न स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। इसका एक आसान उपाय यह भी है कि संवाददाता को जब किसी घटना की जानकारी अथवा विवरण का पता चलता है तो उसे उसकी सत्यता को परखे बिना रिपोर्ट नहीं करना चाहिए। इसको जांचने का एक तरीका यह भी है कि अन्य संबंधित स्रोतों से पूछताछ कर लिया जाए। इस सबका एक ही प्रयोजन है कि श्रोताओं को मिलने वाले समाचार पूर्णतः सत्य एवं सही हों। एक रेडियो संवाददाता को अपने समाचार में स्रोत का उल्लेख करना उपयोगी रहता है। मसलन किसी दुर्घटना के समाचार में वह लिख सकता है कि ‘आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के अनुसार इस बस दुर्घटना में 10 लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि 25 के करीब घायल हुए हैं।’ यही नहीं, तथ्यात्मक विवरण में संबंधित जिम्मेदार अधिकारी अथवा व्यक्ति के नाम का उल्लेख करना उचित रहता है। जैसे-‘भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता के अनुसार उनकी पार्टी कांग्रेस सरकार की वित्तीय नीतियों का खुलकर विरोध करेगी। रेडियो संवाददाता को ‘अपुष्ट सूत्रों के अनुसार’ अथवा ‘समझा जाता है’ या ‘ऐसा होना चाहिए’ आदि ष्षब्दों से पूर्णतः बचना चाहिए। इस तरह के का चलन प्रिंट माध्यमों में तो एक हद तक हो सकता है, परंतु रेडियो के लिए ये सर्वथा त्याज्य है। रेडियो संवाददाता को एक सूत्र पर हमेषा अमल करना चाहिए कि वह अपने समाचार में अधिकाधिक प्रामाणिक व विष्वसनीय तथ्य किस भांति प्रस्तुत कर सकता है। एक रेडियो संवाददाता को ‘डेड लाइन’ का सदैव ध्यान रखना ध्यान रखना पड़ता है। डेड लाइन से मतलब है कि समाचार भेजे जाने का अधिकतम अंतिम समय। उदाहरणार्थ, यदि एक संवाददाता को षाम को आठ बजे प्रसारित होने वाले न्यूज बुलेटिन में अपने भेजे गए समाचार को ष्षमिल करवाना है तो उसे संबंधित समाचार संपादक की कार्य-षैली व सीमाओं को देखते हुए समय से काफी पहले ही समाचार भेजने की प्रक्रिया को अंजाम देना चाहिए। डेस्क पर काम करने वाले संपादकीय सहयोगियों को समय से पूर्व मिले समाचारों में उसकी जरूरत के मुताबिक काट-छांट करने अथवा उसमें पर्याप्त संषोधन-संपादन करने का अवसर मिल जाता है। इससे समाचार की प्रामाणिकता भी पुष्ट होती है और माध्यम की विश्वसनीयता भी बनी रहती है। यही नहीं, गुणवत्ता के अनुरूप समाचार की जाँच पड़ताल के लिए भी पर्याप्त समय मिल जाता है। रेडियो संवाददाता को अंतिम परिणाम आने तक समाचार को नहीं रोकना चाहिए।
आल इंडिया रेडियो प्रसारण कोड
कोई भी प्रसारण निरपेक्ष स्वतंत्रता में काम नहीं कर सकता। उसे स्वतंत्रता के प्रयोग में कुछ सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं ताकि दूसरों की स्वतंत्रता का हनन न हो। आकाषवाणी प्रसारण के लिए कुछ निष्चित सीमाओं का निर्धारण किया गया है। जिसे एआईआर कोड के नाम से जाना जाता है। किसी भी प्रसारण में निम्न बातों की अनुमति नहीं दी जाती है-
1. किसी भी मित्र देश की आलोचना
2. किसी धर्म या समुदाय पर आक्षेप
3. अश्लील एवं अपमानजनक बातें
4. शांति व्यवस्था को भंग या हिंसा को प्रेरित करने वाली बातें
5. न्यायालय के लिए अनादर सूचक बातें
6. राष्ट्रपति, न्यायालय या राज्यपाल की प्रतिष्ठा पर विपरीत प्रभाव डालने वाली बातें।
7. किसी राजनीतिक दल या पार्टी पर आच्छेप
8. केन्द्र तथा राज्यों की अनुचित आलोचना
9. संविधान या जाति विषेष का अनादर
रेडियो कार्यक्रम के प्रकार
आकाषवाणी पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जाता है।
1. समाचार
2. संगीत
3. उच्चरित शब्द
समाचार समाचार प्रसारण का कार्य अभी तक एकमात्र आकाषवाणी द्वारा किया जाता है। अलग-अलग अवधि के बुलेटिन नियमित अन्तराल पर 24 घण्टे लगातार प्रसारित किए जाते हैं। आकाशवाणी के प्रसारण में संगीत कार्यक्रमों का प्रमुख स्थान हो। अन्य कई नये साधनों के आने के बावजूद संगीत के लिए शहरों तथा दूर-दराज के क्षेत्रों में रेडियो के प्रसारण सुने जाते हैं। आकाशवाणी द्वारा शास्त्रीय, सुगम, लोक-संगीत भक्ति संगीत तथा देशभक्ति गीत आदि का नियमित प्रसारण किया जाता है।
उच्चरित शब्द (स्पोकन वर्ड) के अन्तर्गत वार्ताएं, परिचर्चा, साक्षात्कार, कविता, कहानी, नाटक, रूपक आदि आते हैं। आकषवाणी से महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्पर्धाओं का आँखों देखा हाल प्रसारित किया जाता है।
19 दिसंबर का इतिहास यहाँ देखें ।
1921 - नोबेल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
1924-क्रोयडोन लंदन की एयर फील्ड में हुई विमान दुर्घटना में 8 लोगों की मृत्यु हो गई।
अल्बानिया गणतंत्र बना।
1954....दक्षिण पूर्वी एशियाई देश लाओस ने स्वतंत्रता हासिल की।
1962....सोवियत संघ ने नोवाया जेमल्या में परमाणु परीक्षण किया।
1967....चीन ने लोप नोर क्षेत्र में परमाणु परीक्षण किया।
1979: वियत संघ ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया.
[[[[[[[
1979 को आज ही के दिन सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया था. यह हमला 1978 के सोवियत अफगान मैत्री संधि के बहाने किया गया था.
आधी रात होते ही अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में सोवियत संघ ने सैन्य विमानों के जरिए सैनिकों को उतारना शुरू किया. इस प्रक्रिया में करीब 280 परिवहन विमान का इस्तेमाल किया गया. साथ ही सेना के तीन डिवीजन को काबुल में तैनात किया गया. हर डिवीजन में 8500 सैनिक थे. कुछ ही दिनों के भीतर सोवियत संघ का काबुल पर कब्जा हो गया. हफीजुल्लाह अमीन के प्रति वफादार अफगान सैनिकों ने भीषण लेकिन संक्षिप्त विरोध किया. 27 दिसंबर को बबराक करमाल देश के नए शासक बनाए गए. अफगानिस्तान के उत्तरी इलाके से सोवियत सेना की पैदल टुकड़ी दाखिल हुई. हालांकि सोवियत सेना को उस वक्त तगड़ा विरोध झेलना पड़ा जब वे अपने गढ़ से निकलकर ग्रामीण इलाकों में जाने की कोशिश करने लगी. मुजाहिदिनों को अफगानिस्तान पर सोवियत शासन नामंजूर था और उन्होंने इस्लाम के नाम पर जिहाद छेड़ दिया. जिहाद का समर्थन इस्लामी दुनिया से भी मिला. मुजाहिदिनों ने सोवियत संघ के खिलाफ गुरिल्ला रणनीति अपनाई. वे सोवियत सैनिकों पर हमले करते और पहाड़ों में छिप जाते. वे बिना किसी युद्ध में शामिल हुए सोवियतों का बड़ा नुकसान करने लगे. सोवियतों के खिलाफ लड़ाई में मुजाहिदिनों को अमेरिका हथियार मुहैया करा रहा था. इसके अलावा वे सोवियत सैनिकों से लूटे हथियार भी इस्तेमाल कर रहे थे.
इसी तरह से युद्ध चलता रहा. 1987 में अमेरिका ने अफगानों को कंधे पर रखकर इस्तेमाल की जाने वाली एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें दी. इसके बाद क्या था अफगानों ने सोवियत संघ के लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों को हवा में ही नष्ट करना शुरू कर दिया. सोवियत नेता मिखाइल गोर्वाचोव ने जब देखा कि अफगानिस्तान में जीत नहीं मिल रही है तो उन्होंने देश से निकलने का फैसला किया. 1988 में सोवियत सेना ने अफगानिस्तान छोड़ना शुरू किया. सोवियतों को इस लड़ाई में 15000 सैनिकों को खोना पड़ा. इसके अलावा सोवियत संघ को आर्थिक तौर पर भी बहुत नुकसान झेलना पड़ा. 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया. सोवियत संघ के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद देश में आतंकवाद फलने फूलने लगा. इसके बाद ही ओसामा बिन लादेन का उदय हुआ.
]]]]]]]]]]]]]]]]
*Q.अकबर महान की राजपूत नीति की विवेचना करें। उसकी यह नीति कहां तक सफल हुई?* अथवा *अकबर की राजपूत नीति का एक आलोचनात्मक विवरण प्रस्तुत करें एवं मुगल साम्राज्य पर इसके प्रभाव का परीक्षण करें।*
1986- भारत में संसद द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित किया गया। इसलिए भारत में 24 दिसंबर को राष्ट्रिए उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
1989….देश का पहला अम्यूजमेंट पार्क ‘एसेल वर्ल्ड’ महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में खोला गया।
1996 - ताजिकिस्तान में गृहयुद्ध को समाप्त करने के लिए समझौता सम्पन्न।
2000 - विश्वनाथन आनंद विश्व शतरंज चैंपियन बने।
2003 - अमेरिकी विदेश विभाग ने 30 जून, 2004 को इराक में सत्ता सौंपने की तैयारी शुरू की।
2005 - यूरोपीय संघ ने 'खालिस्तान ज़िन्दाबाद फ़ोर्स' नामक संगठन को आतंकी सूची में शामिल किया।
2006 - शिखर बैठक में फ़िलिस्तीन को इस्रायल कई सुविधाएँ देने के लिए तैयार।
2007 - मंगल ग्रह के रहस्यों की खोज करने के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी यान मार्स ने मंगल ग्रह की कक्षा में अपने चार हज़ार चक्कर पूरे किये।
2008 - जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के अन्तिम चरण में 55% वोट पड़े।
2011….क्यूबा की सरकार ने 2900 कैदियों को रिहा करने की घोषणा की।
2016-:
1. 630 फुट ऊंचे शिवाजी स्मारक का पी.एम. ने किया शुभारंभ, 32 एकड़ की चट्टान पर होगा तैयार
महाराष्ट्रः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मराठा यौद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के भव्य स्मारक की नींव रख स्मारक के निर्माण का शुभारंभ किया। इससे पहले मोदी ने पड़ोस के रायगढ़ जिले में एमआईडीसी पटलगंगा में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन संस्थान के नवनिर्मित परिसर का भी उद्घाटन किया।
शिवाजी का यह स्मारक मुंबई अरब सागर में तट से डेढ़ किलोमीटर अंदर बनेगा। घोड़े समेत शिवाजी की मूर्ति की ऊंचाई 192 मीटर यानी करीब 630 फीट होगी। स्मारक की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें शिवाजी की मूर्ति स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी काफी ऊंची होगी। इतना ही नहीं यह स्मारक 32 एकड़ की चट्टान पर तैयार होगा, जहां 10 हजार लोग एक साथ स्मारक का दर्शन कर पाएंगे। यह स्मारक राजभवन किनारे से 1.5 किलोमीटर दूर चट्टानों पर बनाया जाएगा।
2. नरेंद्र मोदी के नोटबंदी की घोषणा से कुछ ही घंटों पूर्व RBI ने की थी इसकी सिफारिश
नयी दिल्ली : कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के ऐलान के कुछ घंटों पहले ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नोटबंदी की सिफारिश की थी. 500 और 1000 रुपये के नोट का चलन 8 नवंबर के बाद से समाप्त कर दिया गया. दरअसल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट- 1934 में केंद्र सरकार को किसी भी बैंक या नोट का चलन बंद करने की शक्ति दी गयी. सरकार यह फैसला खुद नहीं, बल्कि आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ही कर सकती है.
सूचना के अधिकार के तहत एक सवाल के जवाब में रिजर्व बैंक ने बताया कि केंद्रीय बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 8 नवंबर को हुई बैठक में नोटबंदी की सिफारिश पारित की थी.
इस बैठक में 10 बोर्ड मेंबर्स में से केवल आठ ही मौजूद थे. बैठक में मुख्य रूप से आरबीआई प्रमुख उर्जित पटेल, वित्त मामलों के सचिव शक्तिकांत दास, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर गांधी
3. 'दंगल' ने पहले दिन दिखाया दम, क्या तोड़ेगी '3 इडियट्स' का रिकॉर्ड?
मुंबई। आमिर ख़ान की फ़िल्म 'दंगल' ने घरेलू बॉक्स ऑफ़िस पर पहले दिन ज़बर्दस्त ओपनिंग ली है। 23 दिसंबर को रिलीज़ हुई फ़िल्म ने 29.78 करोड़ की शानदार ओपनिंग लेकर अब तक चल रही मंदी को ज़ोरदार पटखनी दी है।
'दंगल' इस साल की मोस्ट अवेटिड फ़िल्मों में शामिल थी और ट्रेलर आने के साथ ही इसको लेकर दर्शकों का इंतज़ार और बढ़ गया था। कुश्ती कोच और रेस्लर रहे महावीर सिंह फोगट की बायोपिक फ़िल्म को क्रिटिक्स का भी बेहतरीन रिस्पांस मिला। फ़िल्म को माउथ पब्लिसिटी का भा फ़ायदा मिल रहा है, जिसके दम पर माना जा रहा है कि ओपनिंग वीकेंड में 'दंगल' 100 करोड़ का कलेक्शन कर सकती है। ओवरसीज़ में भी 'दंगल' ने शानदार शुरुअात की है। फ़िल्म लगभग 11 करोड़ जमा कर चुकी है। क़यास लगाए जा रहे हैं कि दंगल 350-400 करोड़ का बिजनेस कर सकती है और '3 ईडियट्स' का रिकॉर्ड ब्रेक कर सकती है, जो आमिर की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फ़िल्म है। बताते चलें कि 'दंगल' 125 करोड़ के बजट से बनी फ़िल्म है।
4. सरकार ने बदले नियम अब पासपोर्ट में नहीं लिखना पड़ेगा मां-बाप का नाम
नई दिल्ली। पासपोर्ट बनवाना अब और आसान हो गया है। केंद्र सरकार ने नियमों में बदलाव किए हैं। अब पासपोर्ट बनवाने के लिए बर्थ सर्टिफिकेट देना जरूरी नहीं होगा। सरकार ने डेट ऑफ बर्थ के सबूत के तौर पर बर्थ सर्टिफिकेट की अनिवार्य जरूरत (mandatory requirement) को खत्म कर दिया है। पासपोर्ट एप्लिकेशन में लोगों
पासपोर्ट एप्लिकेशन में लोगों को अपने माता और पिता दोनों के नाम की जगह किसी एक का नाम ही लिखना होगा। ये नियम सिंगल मदर्स/ सिंगल पेरेंट्स के लिए बनाया गया है। इसके अलावा साधु-संन्यासी अब माता-पिता के नाम की जगह अपने स्पिरिचुअल गुरु का नाम भी लिख सकेंगे।
विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने शुक्रवार को बताया कि पासपोर्ट के लिए एप्लिकेशन देते वक्त डेट ऑफ बर्थ के सबूत के तौर पर ट्रांसफर/स्कूल लीविंग/ मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट, पैन कार्ड और आधार कार्ड/ई-आधार में से कोई एक डॉक्युमेंट दिया जा सकेगा।
5. एटीएम की लाइनों में मरने वालों के परिजनों को सीएम अखिलेश ने बांटे 2 लाख
नोटबंदी के कारण बैंकों और एटीएम के बाहर लाइन में मरने वालों के परिजनों को अखिलेश सरकार ने शनिवार को 2-2 लाख रुपए का मुआवजा बांटा। मुआवजा देने के साथ ही यूपी सीएम अखिलेश सिंह मोदी सरकार पर निशाना साधने से भी नहीं चूके।
यूपी सीएम अखिलेश सिंह ने कहा कि पीएम मोदी का 'कैशलेस इकॉनमी' का सपना उनके 'अच्छे दिन' के सपने की तरह ही है। नहीं पता कि ये सपने धरातल पर कब आएंगे।
6. हो गया फैसला – मिलकर लड़ेंगी चुनाव, यूपी में इन 3 पार्टियों का होगा महागठबंधन।
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव जैसे जैसे करीब आ रहा है, वैसे-वैसे सभी राजनीतिक पार्टियां जीतने के लिए अपना पूरा दम लगा रही है। बीते कई दिनों से प्रदेश की मौजूदा सरकार सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन की अटकलें लगाई जा रहीं थीं। जिसके बाद अब काफी हद तक ये साफ हो गया है कि यूपी में 2017 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगें। हालांकि इसकी अभी पार्टी की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई है। लेकिन खबरों की मानें तो अगले हफ्ते तक ये ऐलान कर दिया जाएगा।
सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन से बीजेपी को होगा नुकसान
7. PAK को सबक सिखाने के लिए भारत ने शुरू की सिंधु का जल रोकने की कवायद
पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते के तहत अपने हिस्से के पानी का पूरे इस्तेमाल पर विचार के लिए शुक्रवार को उच्च स्तरीय टास्क-फोर्स की पहली बैठक हुई. इस दौरान पंजाब और जम्मू कश्मीर में सिंधु नदी पर बनने वाले बांध के काम में तेजी लाने पर चर्चा हुई.
सिंधु की सहायक नदियों पर परियोजना में तेजी लाने पर विचार
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जम्मू कश्मीर में प्रस्तावित पनबिजली परियोजना और सिंधु, झेलम व चेनाब नदी के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए बड़े जलाशय और नहरें बनाने का काम तेज करने पर गहनता से विचार किया गया.
पीएम मोदी ने दी बूंद-बंदू पानी रोकने की चेतावनी
बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में पंजाब के बठिंडा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि एक-एक बूंद पानी रोककर भारत के किसानों तक पहुंचाया जाएगा. इसके पहले 27 सितंबर को पीएम मोदी के सिंधु नदी जल समझौते की समीक्षा करने के फैसले के बाद से इस प्रोजेक्ट को शुरू किए जाने की कवायद चल रही थी. हालांकि इस चेनाब प्रोजेक्ट से पहले सरकार स्वालकोट (1,856 मेगावॉट), पाकुल दुल (1,000 मेगावॉट) और बुरसर (800 मेगावॉट) प्रोजेक्ट को शुरू करेगी.
8. Bigg Boss: सलमान ने प्रियंका जग्गा को घर से निकाल दिया बाहर, कहा- दोबारा दिख मत जाना
बिग बॉस में वाइल्ड कार्ड एंट्री करने वाली प्रियंका जग्गा ने घर में अपनी जगह बनाने के लिए काफी धमाल मचाया। उनकी हरकतों से परेशान होकर बिगबॉस ने उन्हें चेतावनी भी दी कि अगर अब उन्होंने कोई गाली-गलौज या पर्सनल कमेंट किया तो उन्हें घर से बाहर निकाल दिया जाएगा।
लेकिन प्रियंका कहां मानने वाली थीं। 23 दिसंबर को घर से एक ब्रेकिंग न्यूज आई। जिसके चलते सलमान खान ने प्रियंका को जमकर फटकार लगाई और फिर घर से बाहर निकाल दिया। इतना ही नहीं घर से निकालने से पहले सलमान ने प्रियंका को विलेन की कुर्सी पर बैठाया।
9. खुशखबरी: अब नहीं होगी कैश की किल्लत, 500 के नोट की छपाई 3 गुना बढाई
नासिक। जैसा कि आप सभी को भी पता है कि सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी बाजार में नोटों की कमी बरकरार है। इसी को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस कमी को पूरा करने के मकसद से नासिक करेंसी नोट प्रेस को 500 रुपये के नए नोट 3 गुना ज्यादा छापने का आदेश दिया है। इस पर काम भी जोरों पर चालू हो गया है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक नासिक करेंसी नोट प्रेस ने 500 रुपये के नोट छापने की संख्या में तेजी आई है। जहां नवंबर में 35 लाख नोट रोज छप रहे थे, वहीं अब रोजाना एक करोड़ नोट छापे जा रहे हैं। अन्य नोटों में 100, 50 और 20 रुपये के नोट शामिल हैं। बता दें कि नासिक की प्रेस में 2000 रुपये के नए नोट नहीं छपते हैं।
नोटबंदी के बाद पहली बार 11 नवंबर को ने रिजर्व बैंक को 500 रुपये के 50 लाख नोट भेजे थे। पिछले तीन दिनों में प्रेस ने 8 करोड़ 30 लाख नोट छापे हैं जिसमें से 3 करोड़ 75 लाख नोट सिर्फ 500 रुपये के हैं
10. आज महाराष्ट्र में पीएम, शिवाजी स्मारक और मेट्रो का करेंगे शिलान्यास
मुंबई। पीएम नरेंद्र मोदी आज महाराष्ट्र के दौरे पर है। इसके यात्रा के दौरान पीएम मुंबई और पुणे जाएंगे।पीएम मोदी मुंबई तट पर अरब सागर में एक द्वीप पर छत्रपति शिवाजी स्मारक की आधारशिला भी रखेंगे। इसके बाद वह मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक और दो मेट्रो परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे।
करीब 15 एकड़ के द्वीप पर प्रस्तावित स्मारक में शिवाजी महाराज का पुतला होगा। घोड़े पर बैठे हुए छत्रपती शिवाजी महाराज के पुतले की उंचाई 114.4 मीटर है।
जिन मेट्रो परियोजनाओं की नींव पीएम मोदी रखने वाले हैं उनमें डीएन नगर-मनखुर्द मेट्रो-2बी और वडाला-घाटकोपर-मुलुंड-ठाणे-कसरवाडावली गलियारा शामिल है। मोदी कलानगर जंक्शन व कुर्ला-वाकोला इलेवेटेड रोड पर फ्लाइओवर की नींव भी रखेंगे।
22 दिसंबर का इतिहास यहाँ देखें ।
24 दिसंबर को जन्मे व्यक्ति====---
1880 - भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया - प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, गाँधीवादी और पत्रकार।
1914 - बाबा आम्टे - विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता, मुख्यत: कुष्ठरोगियों की सेवा के लिए विख्यात।
1922- आवा गार्डनर, अमेरिकी अभिनेत्री (मृ. 1990)।
1924 - मुहम्मद रफ़ी, भारतीय गायक।
[[[[[[[[[[[[[[[[
मोहम्मद रफी के गाए गीत 'तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे' को सच में कोई नहीं भूल पाया है और ना ही गायक को कोई भुला पाया है। वह भारतीय सिनेमा के ऐसे दिग्गज गायक हैं, जिन्होंने अपनी सुरीली गीतों से सबका मन मोह लिया। उनके गाए गीत आज भी बड़े चाव से सुने जाते हैं।
रफी छह बार सर्वश्रेष्ठ गायक के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं।
वह आज भी करोड़ों लोगों के दिलों में जिंदा हैं।
रफी का जन्म 24 दिसंबर, 1924 को अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था। जब वह छोटे थे, तभी उनका परिवार लाहौर से अमृतसर आ गया था। रफी के बड़े भाई की नाई की दुकान थी। रफी ज्यादा समय वहीं बिताया करते थे। उस दुकान से होकर एक फकीर गाते हुए गुजरा करते थे। सात साल के रफी उनका पीछा किया करते थे और फकीर के गीतों को गुनगुनाते रहते थे। एक दिन फकीर ने रफी को गाते हुए सुन लिया। उनकी सुरीली आवाज से प्रभावित होकर फकीर ने रफी को बहुत बड़ा गायक बनने का आशीर्वाद दिया, जो आगे चलकर फलीभूत भी हुआ।
नई दिल्ली। मोहम्मद रफी के गाए गीत 'तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे' को सच में कोई नहीं भूल पाया है और ना ही गायक को कोई भुला पाया है। वह भारतीय सिनेमा के ऐसे दिग्गज गायक हैं, जिन्होंने अपनी सुरीली गीतों से सबका मन मोह लिया। उनके गाए गीत आज भी बड़े चाव से सुने जाते हैं।
रफी छह बार सर्वश्रेष्ठ गायक के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। वह आज भी करोड़ों लोगों के दिलों में जिंदा हैं।
रफी का जन्म 24 दिसंबर, 1924 को अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था। जब वह छोटे थे, तभी उनका परिवार लाहौर से अमृतसर आ गया था। रफी के बड़े भाई की नाई की दुकान थी। रफी ज्यादा समय वहीं बिताया करते थे। उस दुकान से होकर एक फकीर गाते हुए गुजरा करते थे। सात साल के रफी उनका पीछा किया करते थे और फकीर के गीतों को गुनगुनाते रहते थे। एक दिन फकीर ने रफी को गाते हुए सुन लिया। उनकी सुरीली आवाज से प्रभावित होकर फकीर ने रफी को बहुत बड़ा गायक बनने का आशीर्वाद दिया, जो आगे चलकर फलीभूत भी हुआ।
इनके बड़े भाई मोहम्मद हमीद ने गायन में इनकी दिलचस्पी को देखते हुए उस्ताद अब्दुल वाहिद खान से शिक्षा प्राप्त करने की सलाह दी। एक बार प्रख्यात गायक कुंदन लाल सहगल आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो लाहौर) के लिए खुले मंच पर गीत गाने आए, लेकिन बिजली गुल हो जाने से सहगल ने गाने से मना कर दिया। लोगों का गुस्सा शांत कराने के लिए रफी के भाई ने आयोजकों से रफी को गाने देने का अनुरोध किया, इस तरह 13 साल की उम्र में रफी ने पहली बार आमंत्रित श्रोताओं के सामने प्रस्तुति दी।
मोहम्मद रफी ने इसके बाद पंजाबी फिल्म 'गुल बलोच' (1944) के लिए गाया। उन्होंने 1946 में मुंबई जाने का फैसला किया। संगीतकार नौशाद ने उन्हें फिल्म 'पहले आप' में गाने का मौका दिया।
इनके बड़े भाई मोहम्मद हमीद ने गायन में इनकी दिलचस्पी को देखते हुए उस्ताद अब्दुल वाहिद खान से शिक्षा प्राप्त करने की सलाह दी। एक बार प्रख्यात गायक कुंदन लाल सहगल आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो लाहौर) के लिए खुले मंच पर गीत गाने आए, लेकिन बिजली गुल हो जाने से सहगल ने गाने से मना कर दिया। लोगों का गुस्सा शांत कराने के लिए रफी के भाई ने आयोजकों से रफी को गाने देने का अनुरोध किया, इस तरह 13 साल की उम्र में रफी ने पहली बार आमंत्रित श्रोताओं के सामने प्रस्तुति दी।
मोहम्मद रफी ने इसके बाद पंजाबी फिल्म 'गुल बलोच' (1944) के लिए गाया। उन्होंने 1946 में मुंबई जाने का फैसला किया। संगीतकार नौशाद ने उन्हें फिल्म 'पहले आप' में गाने का मौका दिया।
नौशाद के संगीत से सजी फिल्म 'अनमोल घड़ी' (1946) के गीत 'तेरा खिलौना टूटा' से रफी को पहली बार प्रसिद्धि मिली। 'शहीद', 'मेला', और 'दुलारी' के लिए भी रफी के गाए गीत खूब मशहूर हुए लेकिन 'बैजू बावरा' के गीतों ने रफी को मुख्यधारा के गायकों में लाकर खड़ा कर दिया। नौशाद के संगीत से सजी फिल्म 'अनमोल घड़ी' (1946) के गीत 'तेरा खिलौना टूटा' से रफी को पहली बार प्रसिद्धि मिली। 'शहीद', 'मेला', और 'दुलारी' के लिए भी रफी के गाए गीत खूब मशहूर हुए लेकिन 'बैजू बावरा' के गीतों ने रफी को मुख्यधारा के गायकों में लाकर खड़ा कर दिया।
नौशाद के लिए रफी ने कई गीत गाए। शंकर-जयकिशन को भी रफी के गाने पसंद आए और उन्होंने भी रफी को अपनी लयबद्ध गीतों को गाने का मौका दिया। वह मदन मोहन, गुलाम हैदर, जयदेव जैसे संगीत निर्देशकों की पहली पसंद बन गए। रफी के गाए गानों पर दिलीप कुमार, भारत भूषण, देवानंद, शम्मी कपूर, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र जैसे सितारों ने अभिनय किया। नौशाद के लिए रफी ने कई गीत गाए। शंकर-जयकिशन को भी रफी के गाने पसंद आए और उन्होंने भी रफी को अपनी लयबद्ध गीतों को गाने का मौका दिया। वह मदन मोहन, गुलाम हैदर, जयदेव जैसे संगीत निर्देशकों की पहली पसंद बन गए। रफी के गाए गानों पर दिलीप कुमार, भारत भूषण, देवानंद, शम्मी कपूर, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र जैसे सितारों ने अभिनय किया।
'चौदहवीं का चांद' (1960) के शीर्षक गीत के लिए रफी को पहली बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। 1961 में रफी को दूसरा फिल्मफेयर पुरस्कार फिल्म 'ससुराल' के गीत 'तेरी प्यारी-प्यारी सूरत' के लिए मिला।
संगीतकार लक्ष्मीकांत ने फिल्मी दुनिया में अपना आगाज ही रफी की मधुर आवाज के साथ किया। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के धुनों से सजी फिल्म 'दोस्ती' (1965) के गीत 'चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे' के लिए उन्हें तीसरा फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। उन्हें 1965 में पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया। 1966 की फिल्म 'सूरज' के गीत 'बहारों फूल बरसाओं' के लिए उन्हें चौथा पुरस्कार मिला। 1968 में 'ब्रह्मचारी' फिल्म के गीत 'दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर' के लिए उन्हें पाचवां फिल्मफेयर पुरस्कार मिला और 1977 की फिल्म 'हम किसी से कम नहीं' के गाने 'क्या हुआ तेरा वादा' के लिए गायक को छठा पुरस्कार मिला। 'चौदहवीं का चांद' (1960) के शीर्षक गीत के लिए रफी को पहली बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। 1961 में रफी को दूसरा फिल्मफेयर पुरस्कार फिल्म 'ससुराल' के गीत 'तेरी प्यारी-प्यारी सूरत' के लिए मिला।
संगीतकार लक्ष्मीकांत ने फिल्मी दुनिया में अपना आगाज ही रफी की मधुर आवाज के साथ किया। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के धुनों से सजी फिल्म 'दोस्ती' (1965) के गीत 'चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे' के लिए उन्हें तीसरा फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। उन्हें 1965 में पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया। 1966 की फिल्म 'सूरज' के गीत 'बहारों फूल बरसाओं' के लिए उन्हें चौथा पुरस्कार मिला। 1968 में 'ब्रह्मचारी' फिल्म के गीत 'दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर' के लिए उन्हें पाचवां फिल्मफेयर पुरस्कार मिला और 1977 की फिल्म 'हम किसी से कम नहीं' के गाने 'क्या हुआ तेरा वादा' के लिए गायक को छठा पुरस्कार मिला।
रफी जब 13 साल के थे, तभी उन्होंने पहली शादी चाची की बेटी बशीरन बेगम से कर ली थी। रफी ने यह बात छिपा रखी थी। उन्होंने कुछ ही साल बाद बशीरन से तालक ले लिया। इसके बाद उनकी दूसरी शादी विलकिस बेगम के साथ हुई। रफी तीन बेटों और चार बेटियों के पिता बने।
उनकी बहू यास्मीन खालिद रफी ने जब अपनी किताब 'मोहम्मद रफी : मेरे अब्बा (एक संस्मरण)' में इस महान गायक की पहली शादी का जिक्र किया, तब लोगों को इस बारे में पता चला। रफी जब 13 साल के थे, तभी उन्होंने पहली शादी चाची की बेटी बशीरन बेगम से कर ली थी। रफी ने यह बात छिपा रखी थी। उन्होंने कुछ ही साल बाद बशीरन से तालक ले लिया। इसके बाद उनकी दूसरी शादी विलकिस बेगम के साथ हुई। रफी तीन बेटों और चार बेटियों के पिता बने।
उनकी बहू यास्मीन खालिद रफी ने जब अपनी किताब 'मोहम्मद रफी : मेरे अब्बा (एक संस्मरण)' में इस महान गायक की पहली शादी का जिक्र किया, तब लोगों को इस बारे में पता चला।
एक बार लता मंगेशकर के साथ रॉयल्टी को लेकर रफी का विवाद हो गया था। रफी कहते थे कि गाना गाकर मेहनताना लेने के बाद रॉयल्टी लेने का सवाल ही नहीं उठता, वहीं लता कहती थीं कि गाने से होने वाली आमदानी का हिस्सा गायक-गायिकाओं को जरूर मिलना चहिए। इसे लेकर दोनों के बीच मनमुटाव हो गया। दोनों ने साथ गाना बंद कर दिया। बाद में नरगिस के कहने पर फिल्म 'ज्वेल थीफ' के गाने 'दिल पुकारे आ रे आ रे आ रे' को दोनों ने साथ गाया।
एक दिन अचानक रफी का रुखसत हो जाना सबको रुला गया। महान गायक को शायद दुनिया से अपने जाने का आभास हो गया था। 31 जुलाई, 1980 को उन्होंने अपना गाना रिकॉर्ड कराने के बाद लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल से कहा, ''नाउ आई विल लीव'' और शाम 7.30 बजे दल का दौरा पडऩे से वे हमेशा के लिए हम सबको छोडक़र चले गए। एक बार लता मंगेशकर के साथ रॉयल्टी को लेकर रफी का विवाद हो गया था। रफी कहते थे कि गाना गाकर मेहनताना लेने के बाद रॉयल्टी लेने का सवाल ही नहीं उठता, वहीं लता कहती थीं कि गाने से होने वाली आमदानी का हिस्सा गायक-गायिकाओं को जरूर मिलना चहिए। इसे लेकर दोनों के बीच मनमुटाव हो गया। दोनों ने साथ गाना बंद कर दिया। बाद में नरगिस के कहने पर फिल्म 'ज्वेल थीफ' के गाने 'दिल पुकारे आ रे आ रे आ रे' को दोनों ने साथ गाया।
एक दिन अचानक रफी का रुखसत हो जाना सबको रुला गया। महान गायक को शायद दुनिया से अपने जाने का आभास हो गया था। 31 जुलाई, 1980 को उन्होंने अपना गाना रिकॉर्ड कराने के बाद लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल से कहा, ''नाउ आई विल लीव'' और शाम 7.30 बजे दल का दौरा पडऩे से वे हमेशा के लिए हम सबको छोडक़र चले गए।
जब संगीत के इस बेताज बादशाह को सुपुर्दे खाक किया जा रहा था, तो नौशाद ये पंक्तियां बरबस ही बुदबुदाने लगे- ''कहता है कोई दिल गया, दिलबर चला गया, साहिल पुकारता है समंदर चला गया, लेकिन जो बात सच है कहता नहीं कोई, दुनिया से मौसिकी का पयम्बर चला गया।''
उस दिन हजारों लोगों की आंखें नम थीं। तेज बारिश हो रही थीं मानो प्रकृति भी इस गायक के जाने का मातम मना रही हो। अभिनेता मनोज कुमार ने कहा था कि ऐसा लगता है कि आज मां सरस्वती भी अपने बेटे के जाने से दुखी हैं।
रफी आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके गीत आज भी गुनगुनाए जाते हैं। रफी को उनके जन्मदिन पर शत शत नमन!!!
(आईएएनएस) जब संगीत के इस बेताज बादशाह को सुपुर्दे खाक किया जा रहा था, तो नौशाद ये पंक्तियां बरबस ही बुदबुदाने लगे- ''कहता है कोई दिल गया, दिलबर चला गया, साहिल पुकारता है समंदर चला गया, लेकिन जो बात सच है कहता नहीं कोई, दुनिया से मौसिकी का पयम्बर चला गया।''
उस दिन हजारों लोगों की आंखें नम थीं। तेज बारिश हो रही थीं मानो प्रकृति भी इस गायक के जाने का मातम मना रही हो। अभिनेता मनोज कुमार ने कहा था कि ऐसा लगता है कि आज मां सरस्वती भी अपने बेटे के जाने से दुखी हैं।
रफी आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके गीत आज भी गुनगुनाए जाते हैं।
उनके जन्मदिन पर उनके सदाबहार गानें और जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
1. बाबुल की दुआएं लेती जा===-
श्याम सुदंर के संगीत निदेर्शन में रफी ने अपना पहला गाना 'सोनिये नी हिरीये नी' गाया था। 'गुल बलोच' नाम के इस पंजाबी फिल्म में उन्होंने जीनत बेगम के साथ अपनी आवाज दी थी। साल 1944 मे नौशाद के संगीत निर्देशन में उन्होंने अपना पहला हिन्दी गाना 'हिन्दुस्तान के हम है' गाया।
2. खोया-खोया चांद===%---
साल 1949 में संगीत निर्देशन में 'दुलारी' फिल्म में गाये गीत 'सुहानी रात ढल चुकी' के जरिये वह सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंच गए और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नही देखा।
3. तेरे घर के सामने===%%----
दिलीप कुमार देवानंद, शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार, शशि कपूर, राजकुमार जैसे नामचीन नायकों की आवाज कहें जाने वाले रफी अपने संपूर्ण सिने करियर में लगभग 700 फिल्मों के लिये 26 हजार से भी ज्यादा गीत गाए।
4. ये रेशमी जुल्फें===---
मोहम्मद रफी फिल्म इंडस्ट्री में अपने प्यारे स्वाभाव के कारण जाने जाते थे लेकिन एक बार लता मंगेशकर के साथ अनबन हो गई थी। मोहम्मद रफी ने लता मंगेशकर के साथ सैकड़ों गीत गाए थे लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था जब रफी ने लता से बात तक करनी बंद कर दी थी।
5. सुहानी रात हो चुकी है===-
मोहम्मद रफी ने हिन्दी फिल्मों के अलावा मराठी और तेलगू फिल्मों के लिये भी गाने गाए हैं। मोहम्मद रफी अपने करियर में छह बार फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किये गए। साल 1965 में रफी पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किए जा चुके हैं।
6. चल मेरे भाई===-
साल 1980 में प्रदर्शित फिल्म 'नसीब' में रफी को अमिताभ के साथ 'चल चल मेरे भाई' गाना गाने का अवसर मिला। अमिताभ के साथ इस गाने को गाने के बाद रफी बेहद खुश हुए थे। जब रफी साहब अपने घर पहुंचे तो उन्होंने अपने परिवार के लोगों को अपने पसंदीदा अभिनेता अमिताभ के साथ गाने की बात को खुश होते हुए बताया था। अमिताभ के अलावा रफी को शम्मी कपूर और धर्मेंद्र की फिल्में भी बेहद पसंद आती थी। मोहम्मद रफी को अमिताभ-धर्मेंद्र की फिल्म 'शोले' बेहद पंसद थी, उन्होंने इसे तीन बार देखा था।
7. चाहूँगा मैं तुझे शाम सवेरे
30 जुलाई 1980 को आई फिल्म 'आस पास' का गाना 'शाम क्यों उदास है दोस्त' की रिकॉर्डिंग के बाद रफी ने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल से कहा 'शूड आई लीव'। रफी का यह कहना लक्ष्मीकांत प्यारे लाल को थोड़ा अटपटा लगा वह चौंक गए क्योंकि इसके पहले रफी ने उनसे कभी इस तरह की बात नहीं की थी। अगले दिन 31 जुलाई 1980 को रफी को दिल का दौरा पड़ा और वह इस दुनिया को ही छोड़कर चले गए।
]]]]]]]]]]]]]]]]]]]]]]]
1957 - हामिद करज़ई अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति।
1959 - अनिल कपूर, भारतीय अभिनेता।
1892 - बनारसीदास चतुर्वेदी- प्रसिद्ध पत्रकार और साहित्यकार
1930 - उषा प्रियंवदा, पत्रकार एवं साहित्यकार
1924 - नारायण भाई देसाई, स्वतंत्रता सेनानी एवं महादेव देसाई के पुत्र।
21 दिसंबर का इतिहास यहाँ देखें ।
24 दिसंबर को हुए निधन====---
1524- यूरोप से भारत तक पहुँचने के समुद्री मार्ग का पता लगाने वाले पुर्तगाली खोजी नाविक वास्को डी गामा का कोच्ची (भारत) में निधन हो गया।
1973....ई वी रामास्वामी नाइकर का तमिलनाडु के वैल्लोर में निधन।
1987 - एम. जी. रामचन्द्रन - तमिल अभिनेता और राजनेता।
1988 - जैनेन्द्र कुमार, हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कथाकार और उपन्यासकार।
24 दिसंबर के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव=====----
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस।
20 दिसंबर का इतिहास यहाँ देखें
No comments:
Post a Comment